सीड्स पिछले एक दशक से कुछ राज्यों में तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के संचालन में राज्य सरकारों को तकनिकी सहयोग दे रहा है। सीड्स ने सरकारी, गैर सरकारी संस्था, मीडिया सहित विभिन्न संस्थानों के साथ मिलकर तम्बाकू नियंत्रण के लिए जबरदस्त माहौल तैयार करते हुए राज्यों में तम्बाकू नियंत्रण कानून (कोटपा 2003) के पालन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। सीड्स के प्रयास से कुछ राज्यों में पान मसाला, गुटखा, इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एवं अवैध हुक्का पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जा सका है।
सीड्स के प्रयास से बिहार और झारखण्ड राज्यों में तम्बाकू सेवन करने वालों की संख्या में काफी कमी आई है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (GATS 2017) के आंकड़ों के मुताबिक पिछले आठ वर्षों में बिहार में तम्बाकू सेवन करने वालों की संख्या 53.5% से घट कर 25.9% हो गई है, जबकि झारखण्ड में यह संख्या 50.1% से घटकर 38.9% पर आ गई है।
ग्लोबल तंबाकू नियंत्रण विशेषज्ञ और लूथर टेरी पुरस्कार विजेता डॉ मीरा आगी ने कहा, “राज्य सरकार और सिविल सोसाइटी के साथ सीड्स की साझेदारी ने जमीनी स्तर की अच्छी प्रथाओं को विकसित किया है और इन्होने अन्य राज्यों के अनुसरण के लिए एक अच्छा मॉडल बनाया हैं।
बिहार सरकार के प्रधान सचिव संजय कुमार ने WHO द्वारा SEEDS को पुरस्कृत किये जाने पर ख़ुशी जाहिर करते हुए कहा कि पिछले एक दशक से सीड्स बिहार और झारखंड राज्य में जमीनी स्तर पर तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम के कार्यान्वयन में राज्य सरकार के लिए एक विश्वसनीय साथी की भूमिका में है। दोनों राज्यों में तंबाकू के उपयोग में भारी कमी SEEDS के प्रयासों का गवाह है। मुझे खुशी है कि WHO ने वर्ल्ड नो टोबैको डे अवार्ड (WNTD 2020) के लिए SEEDS का चयन किया है।
पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (PHFI) के अध्यक्ष प्रोफेसर के श्रीनाथ रेड्डी ने कहा कि बिहार और झारखंड में तंबाकू सेवन में आई कमी SEEDS के उल्लेखनीय अभियानों के कारण संभव हो पाई है। दोनों राज्यों में चबाने वाले तंबाकू के उपयोग में आई गिरावट सीड्स द्वारा किये गए कार्यों में विशेष रूप से सराहनीय है। प्रोफेसर रेड्डी के मुताबिक सीड्स के कार्यपालक निदेशक दीपक मिश्रा का समर्पित, मेहनती और रणनीतिक नेतृत्व इस सफलता के पीछे प्रेरक शक्ति रहा है।