पिछले साल अप्रेल में थोक महंगाई दर 10.74 फीसदी थी। तभी से यह दोहरे अंकों में कायम है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के मुताबिक अप्रेल 2022 में मुद्रास्फीति की उच्च दर के लिए मुख्य रूप से खनिज तेलों, मूल धातुओं, कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, खाद्य पदार्थों, गैर-खाद्य वस्तुओं, रासायनिक उत्पादों व रसायनों की कीमतों में बढ़ोतरी जिम्मेदार है। खुदरा महंगाई दर लगातार चौथे महीने रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति लक्ष्य से ऊपर रही है। इसके नए रेकॉर्ड स्तर पर पहुंचने में सबसे बड़ा हाथ खाद्य और ङ्क्षजसों की कीमतों में बढ़ोतरी का है। पिछले हफ्ते जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में खुदरा महंगाई दर अप्रेल में आठ साल के उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। मार्च में 6.95 फीसदी रहने के बाद अप्रेल में यह 7.79 फीसदी की दर से बढ़ी।
रुपए में फिर रेकॉर्ड गिरावट
डॉलर के मुकाबले मंगलवार को रुपए में फिर बड़ी गिरावट आई। कारोबार के दौरान यह 14 पैसे की गिरावट के साथ सर्वकालिक निचले स्तर 77.69 पर पहुंच गया। पिछले सत्र में यह अमरीकी मुद्रा के मुकाबले 77.55 पर बंद हुआ था। विदेशी पूंजी की लगातार निकासी और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से रुपया प्रभावित हुआ है। इसमें और गिरावट से लोगों पर महंगाई की और मार पड़ सकती है, क्योंकि विदेश से होने वाला आयात महंगा हो सकता है।
कहां कितनी मार
8.35 फीसदी बढ़ी खाद्य पदार्थों में मुद्रास्फीति। सब्जियों, गेहूं, फलों और आलू की कीमतों में एक साल पहले की तुलना में तेज बढ़ोतरी।
38.66 फीसदी मुद्रास्फीति ईंधन और बिजली में।
10.85 फीसदी विनिर्मित उत्पादों में।
16.10 फीसदी तिलहन में।
69.07 फीसदी कच्चे तेल (क्रूड) और प्राकृतिक गैस में।