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नई दिल्ली

Women Artisans: पर्यावरण संरक्षण के रंग बिखेर रही हैं ग्रामीण भारत की महिला शिल्पकार, कागज की रद्दी व कॉटन वेस्ट को कर रही हैं रिसाइकल

ग्रामीण भारत की महिला शिल्पकार पर्यावरण संरक्षण के लिए अग्रसर होकर काम कर रही हैं। कागज की रद्दी और कॉटन वेस्ट को रिसाइकल करके कई प्रकार के हैंडमेड प्रोडक्ट ग्रामीण महिला शिल्पकार बना रही हैं। इससे न सिर्फ कागज को रिसाइकल करके पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए एक बेहतर योगदान दिया जा रहा है। बल्कि यह व्यवसाय के माध्यम से भी काफी अनुकूल और लाभदायक हो रहा है। राजस्थान के जयपुर जिले के सांगानेर तहसील की महिला शिल्पकारों द्वारा इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) में अपने प्रोडक्ट प्रदर्शित किया गया।

नई दिल्लीNov 27, 2022 / 06:22 pm

Rahul Manav

Women Artisans: पर्यावरण संरक्षण के रंग बिखेर रही हैं ग्रामीण भारत की महिला शिल्पकार, कागज की रद्दी व कॉटन वेस्ट को कर रही हैं रिसाइकल

कागज की रद्दी और कॉटन वेस्ट को रिसाइकल करते हुए तैयार किए गए हैंडमेड प्रोडक्ट को कोमल शर्मा ने ट्रेड फेयर में प्रदर्शित किया। वह एक सेल्प हेल्प ग्रुप (SHG) से जुड़ी हुई हैं। उनके साथ 70 महिलाएं इन वस्तुओं को बना रही हैं।

राजस्थान के जयपुर जिले के सांगानेर तहसील के बगरू खुर्द गांव के शक्ति महिला ग्राम संगठन शिवजी सेल्फ हेल्प ग्रुप (SHG) द्वारा वर्ष 2019 से हैंडमेड पेपर के कई प्रकार के प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं। शिवजी एसएचजी की सदस्य कोमल शर्मा ने बताया कि डायरी, बैग, फोटो फ्रेम, फाइल, फाइल पैड, शगुन के लिफाफे जैसे कई प्रकार की वस्तुएं, कागज की रद्दी और कॉटन वेस्ट को रिसाइकल करके बना रहे हैं। इसमें 20 तरह की डायरी, विभिन्न प्रकार के लिखने के लिए पैड भी तैयार कर रहे हैं। इनके कवर कई खूबसूरत प्रिंट से तैयार किए जाते हैं, जो देखने में बहुत ही आकर्षक लगते हैं। नोट पैड की कीमत 100 रुपए है। साथ ही सामान्य साइज के शगुन के लिफाफे 100 रुपए में 12 पीस दिए जाते हैं। दिल्ली के प्रगति मैदान में आयोजित हुए इंडिया इंटरनेशनल ट्रेड फेयर (IITF) में हॉल नंबर 7 हॉल नंबर 7 में शिवजी एसएचजी द्वारा अपने हैंडमेड प्रोडक्ट को प्रदर्शित किया गया। हॉल नंबर 7 (ए, बी, सी) में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज संस्थान ( NIRDPR) द्वारा आयोजित सरस आजीविका मेला 2022 में लगे स्टॉल में हाथों से तैयार इन वस्तुओं पर लोगों ने भी खूब दिलचस्पी दिखाई। उनके पति प्रकाश शर्मा उनके साथ मेले में आए और हेल्पर के रूप में सहयोग दिया।
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दो हजार लीटर के टैंक में रिसाइकल होते हैं कागज की रद्दी व कॉटन वेस्ट

कोमल शर्मा ने बताया कि सांगानेर में कपड़े और कागज का बहुत बड़ा मार्केट हैं। यहां पर कई फैक्ट्रियों से हर महीने 100 किलो तक कागज की रद्दी और कॉटन वेस्ट को एसएचजी की महिला सदस्य हर महीने इकट्ठा करती हैं। इसके बाद एसएचजी द्वारा अपने गांव में दो से तीन दो हजार लीटर के टैंक स्थापित किए हैं। जिनमें मशीन लगी हुई हैं। इन मशीन में कागज की रद्दी और कॉटन वेस्ट को डालकर पानी के साथ घोला जाता है। जिसके बाद मटेरियल इकट्ठा होता है। उस मैटेरियल से कई प्रकार के हैंडमेड प्रोडक्ट तैयार किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि उनका व्यापार वर्ष में 7 लाख रुपए से ज्यादा की सेल कर रहा है।
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छह महिलाओं के साथ हुई थी शुरुआत, अब 70 महिलाएं कर रही हैं कार्य

कोमल शर्मा ने बताया कि राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद वर्ष 2019 में हमारे गांव में आए थे और उन्होंने महिलाओं को उद्यमी बनाने के लिए और महिला सशक्तिकरण के तहत बढ़ावा देते हुए व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण दिया था। उस समय छह महिलाओं को प्रशिक्षित करते हुए 15 हजार रुपए का फंड दिया था। जिसके बाद जयपुर में सरस आजीविका मेले में हमने पेपर आधारित हैंडमेड वस्तुएं तैयार करते हुए उसे प्रदर्शित किया था। उस दौरान हमारी सेल कुल 45 हजार रुपए की हुई थी। 30 हजार रुपए प्रोफित हुआ था। इसके बाद अब बगरू खुर्द गांव की 70 महिलाएं एसएचजी से जुड़ते हुए हैंडमेड वस्तुएं तैयार कर रहे हैं।

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