अरविंद केजरीवाल ने मेट्रो के किराये में बढ़ोतरी का किया था विरोध
बता दें कि जब दिल्ली मेट्रो का किराया बढ़ाने का प्रस्ताव डीएमआरसी लेकर आया था, उस वक्त से अब तक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तब से दिल्ली मेट्रो में किराये की वृद्धि के विरोध में हैं और इस रिपोर्ट के आने के बाद वह एक बार फिर मुखर हो गए हैं। उन्होंने किराये की बढ़ोत्तरी पर एक बार फिर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली का मुख्यमंत्री होने के नाते उन्हें इस बात का बहुत दुख है कि परिवहन का इतना अहम आम लोगों की पहुंच से दूर है। कई लोगों ने मेट्रो से सफर करना छोड़ दिया है और अब वह सड़क परिवहन का इस्तेमाल कर दिल्ली के प्रदूषण में इजाफा कर रहे हैं। सीएसइ की अनुमिता रॉय चौधरी ने भी मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा कि 2017 में 2 चरणों में मेट्रो किराए की बढ़ोतरी के बाद से इसको लेकर एक व्यापक पॉलिसी बनाने की मांग को लेकर बहस छिड़ी हुई है।
दिल्ली वालों की कमाई का 14 फीसदी मेट्रो पर जाता है
इस अध्ययन के मुताबिक दिल्ली से ज्यादा महंगा सफर सिर्फ हनोई वालों को पड़ता है, जो अपनी कमाई का 25 फीसदी मेट्रो से यात्रा पर खर्च करते हैं, जबकि दिल्ली वाले अपनी औसतन कमाई का 14 फीसदी खर्च करते हैं। इनमें से 30 फीसदी यात्री का तो 19.5 प्रतिशत तक सिर्फ मेट्रो किराये में चला जाता है। जल्द जारी होने जा रही सीएसइ के अध्ययन के मुताबिक दिल्ली मेट्रो के 30 फीसदी यात्रियों की मासिक आमदनी औसतन 20 हजार रुपए है और उन्हें अपनी कमाई का 19.5 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ मेट्रो यात्रा पर खर्च करना पड़ रहा है और किराये में हुई बढ़ोतरी के कारण 46 प्रतिशत यात्रा कम हुई हैं। इस अध्ययन के मुताबिक दिल्ली की 34 प्रतिशत आबादी ऐसी है, बेसिक नॉन-एसी बस सर्विस भी अफोर्ड करने में सक्षम नहीं है।
डीएमआरसी ने बताया सेलेक्टिव अध्ययन
दूसरी तरफ दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (डीएमआरसी) ने इस स्टडी को सेलेक्टिव बताया। कहा कि इस अध्ययन में मेट्रो की तुलना अपेक्षाकृत छोटे नेटवर्कों से की गई है। इसी कार्यक्रम में बोलते हुए दिल्ली परिवहन आयुक्त वर्षा जोशी ने किराया बढ़ोतरी को उचित बताया। कहा कि किराया नहीं बढ़ाया जाएगा तो गुणवत्ता में गिरावट आ जाएगी। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में मेट्रो फीडर बसों का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि इस बसों की स्थिति खराब होने के कारण ज्यादातर यात्री इस सेवा का प्रयोग नहीं करते। इसकी यह हालत इसीलिए हुई, क्योंकि फीडर बस सर्विस का किराया मेट्रो के अनुपात में नहीं बढ़ा।