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दुकानों के किराये पर 18% GST, कांग्रेस ने मोदी सरकार के फैसले पर पेश किया स्थगन प्रस्ताव

कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बुधवार को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र सरकार से दुकानों के किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी कर लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया। अपने नोटिस में, टैगोर ने दुकानों के किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी कर लगाने के केंद्र सरकार के फैसले […]

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कांग्रेस सांसद मणिकम टैगोर ने बुधवार को लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र सरकार से दुकानों के किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी कर लगाने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया। अपने नोटिस में, टैगोर ने दुकानों के किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी कर लगाने के केंद्र सरकार के फैसले की निंदा की, जिसने छोटे व्यवसायों और उद्यमियों को बुरी तरह प्रभावित किया है।

कांग्रेस ने किया विरोध

उन्होंने कहा, "मैं तत्काल महत्व के एक निश्चित मामले पर चर्चा करने के उद्देश्य से सदन के कामकाज को स्थगित करने के लिए प्रस्ताव पेश करने की अनुमति मांगने के अपने इरादे की सूचना देता हूं।" उन्होंने कहा, "अध्यक्ष महोदय, मैं मोदी सरकार द्वारा दुकानों के किराये पर 18 प्रतिशत जीएसटी कर लगाने के निर्णय की कड़ी निंदा करता हूं, जिससे छोटे व्यवसाय और उद्यमी बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। इस प्रतिगामी कदम से दुकान मालिकों की लागत बढ़ेगी, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ेगी और महंगाई बढ़ेगी।"

औसत 4,500 रुपये अतिरिक्त देना होगा किराया

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के एक सर्वेक्षण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि 72 प्रतिशत दुकानदारों ने लागत बढ़ने के कारण बिक्री में गिरावट की सूचना दी है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 72 प्रतिशत दुकानदारों ने लागत बढ़ने के कारण बिक्री में गिरावट की सूचना दी है। भारत में एक दुकान का औसत मासिक किराया 25,000 रुपये है और 18 प्रतिशत जीएसटी के साथ, दुकानदारों को प्रति माह 4,500 रुपये अतिरिक्त देने होंगे, जिससे परिचालन लागत में 18 प्रतिशत की वृद्धि होगी। टैगोर ने सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और वैकल्पिक उपायों की तलाश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "हम सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने और छोटे व्यवसायों को समर्थन देने तथा आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए वैकल्पिक उपायों पर विचार करने का आग्रह करते हैं।"

अडानी मुद्दे तथा मणिपुर और संभल में हिंसा को लेकर विपक्षी दलों के विरोध के कारण शीतकालीन सत्र की शुरुआत से ही संसद की कार्यवाही ठप है। संसद का शीतकालीन सत्र 25 नवंबर को शुरू हुआ था और 20 दिसंबर तक चलेगा।