घटना के समय गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. गणेश श्रीनिवास भी voting के लिए उसी कतार में लगे थे। पानी पीने की कोशिश करते समय महिला जमीन पर गिरने ही वाली थी कि डॉ. श्रीनिवास और उनके साथ खड़े एक अन्य मतदाता ने उसे पकड़ लिया।
डॉ. प्रसाद ने बताया कि महिला का पल्स काफी गिर चुका था। आंखें बाहर की ओर थीं। सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी। उन्होंने महिला को तुरंत CPR (कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन) दिया। हालत में सुधार होते ही Election Duty पर मौजूद लोगों ने महिला को जूस पिलाया। ambulance में उसे फौरन अस्पताल भेज आगे का उपचार शुरू किया गया।
सीपीआर व जीवन रक्षक अन्य तकनीकों तक पहुंच के महत्व को रेखांकित करते हुए डॉ. श्रीनिवास ने कहा, सीपीआर देने में देरी होती तो महिला को खो सकते थे। विदेशों से मतदान करने पहुंचे मतदाता
अपने गृह जिले या शहर में होने के बावजूद जहां एक ओर कई मतदाता मतदान नहीं करते हैं वहीं दूसरी ओर दूरी व खर्च की परवाह किए बिना कई लोग विदेशों से भी आकर मतदान करते हैं। पढ़ाई, नौकरी या किसी और सिलसिले में विदेश में रह रहे कई भारतीयों के चुनाव के दिन अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए घर लौट आने के कई उदाहरण हैं।
इस बार के Lok Sabha Elections में भी कुछ ऐसा ही हुआ है। राज्य के मंड्या जिले में ऐसे कुछ मामले सामने आए हैं। सेवानिवृत्त मंड्या तहसीलदार के. एम. पुट्टस्वामी की बेटी के.एस. प्रकृति अपना वोट डालने के लिए अमरिका के कैलिफोर्निया से घर लौटीं। उनका नाम मंड्या विश्वविद्यालय पोलिंग बूथ नंबर 167 पर दर्ज था। जिले के कलेनहल्ली की आइटी सलाहकार सोनिका अपने काम के कारण लंदन चली गई थीं। हालांकि, घर लौटकर उन्होंने मतदान किया।