
Government is not giving budget for the felicitation ceremony of Bhamashahs of the district who donated lakhs of rupees in government schools
हनुमानगढ़. लाखों रुपए का दान देकर सरकारी विद्यालयों के विकास में अहम भूमिका निभाने वाले जिले के भामाशाहों के सम्मान को सरकार भूल गई है। सम्मान समारोह के लिए राज्य सरकार ने अब तक कोई बजट नहीं दिया है। ऐसे में शिक्षा विभाग के स्थानीय अधिकारी दानदाताओं के सम्मान के लिए भी दानदाता ढूंढ़ रहे हैं।
बड़ी बात यह है कि चाहे सरकार कांग्रेस की रही हो या भाजपा की, भामाशाहों के सम्मान को तवज्जो किसी ने नहीं दी है। इसकी बानगी यह है कि गत चुनावी साल में राज्य सरकार ने आनन-फानन भामाशाह सम्मान समारोह तो आयोजित करवा लिए। मगर उस समारोह पर जो राशि खर्च हुई थी, उसका भुगतान अब तक अटका पड़ा है। ऐसे में शिक्षा अधिकारी भी इस पचड़े में पडऩे से परहेज ही बरत रहे हैं। इसीलिए सम्मान समारोह में निरंतर विलम्ब हो रहा है।
भामाशाह सम्मान समारोह के आयोजन के लिए डीईओ प्रारंभिक कार्यालय ने इस साल पूरी तैयारी कर ली थी। सम्मानित होने वाले दानदाताओं की सूची भी बना ली थी। मगर राज्य सरकार ने बजट नहीं दिया। स्थानीय स्तर पर एक-दो दानदाता तैयार तो हुए, बाद में किन्हीं कारणों के चलते वे भी पीछे हट गए।
भामाशाहों के सम्मान में भी सरकार दो भांत कर रही है। शिक्षा सत्र 2021-22 में सरकारी पाठशालाओं में लाखों रुपए का दान देने वाले भामाशाहों एवं प्रेरकों के सम्मान समारोह के लिए कोई बजट नहीं दिया गया था। हालांकि शिक्षा निदेशालय ने भामाशाह सम्मान समारोह आयोजित कराने का आदेश दिया था। आयोजन पर करीब दो लाख रुपए खर्च होने का अनुमान था जिसकी व्यवस्था ही नहीं हो सकी। जैसे ही चुनावी साल आया, गत सरकार ने सत्र 2021-22 को छोडकऱ सत्र 2022-23 में दान देने वाले भामाशाहों को सम्मानित कर दिया। अब शिक्षा अधिकारी इस प्रयास में हैं कि इस साल समारोह हुआ तो सत्र सत्र 2021-22 के दानदाताओं को भी सम्मानित कर दिया जाए।
Published on:
12 Nov 2024 08:23 pm
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