14 अप्रैल को डॉ. आंबेडकर की जयंती है जिसे मध्यप्रदेश सरकार हर साल धूमधाम से मनाती है। उनके दर्शन के लिए जन्म स्थली महू में देशभर से अनुयायी आते हैं। ये आंकड़ा लाखों में हो जाता है। उनके आने पर रहने, खाने और पीने के साथ में सभा की व्यवस्था जिला प्रशासन जुटाता है। हर काम का बकायदा ठेका दिया जाता है।
देखा जाए तो करोड़ों रुपए के खर्च होता है। इस बार जिला प्रशासन के माथे पर चिंता हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव को लेकर आदर्श आचार संहिता लगी हुई है। ऐसे में इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का इक_ा होना और उनकी व्यवस्था करना मुश्किल है। सवाल ये है कि प्रशासन व्यवस्थाएं करे या न करे श्रद्धालु तो आएंगे ही। ऐसे में व्यवस्था न होने पर बवाल की स्थिति भी निर्मित हो सकती है।
इसको लेकर कलेक्टर लोकेश कुमार जाटव व अपर कलेक्टर दिनेश जैन ने राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति मांग ली है। आयोजन की रूपरेखा के साथ में होने वाले खर्चे का अनुमान भी बता दिया गया जो सरकार के खाते से जाएगा।
अब तक नहीं हुए टेंडर
गौरतलब है कि आंबेडकर जयंती को लेकर जनवरी से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। आंबेडकर स्मारक से जुड़े नेता और प्रशासन के बीच में समन्वय बैठकों का दौर शुरू हो जाता है। उसके बाद जिला प्रशासन सारी व्यवस्थाओं के लिए टेंडर जारी कर देता है। कम कीमत में ज्यादा अच्छा काम करने वालो काम सौंप दिया जाता है।
गौरतलब है कि आंबेडकर जयंती को लेकर जनवरी से तैयारियां शुरू हो जाती हैं। आंबेडकर स्मारक से जुड़े नेता और प्रशासन के बीच में समन्वय बैठकों का दौर शुरू हो जाता है। उसके बाद जिला प्रशासन सारी व्यवस्थाओं के लिए टेंडर जारी कर देता है। कम कीमत में ज्यादा अच्छा काम करने वालो काम सौंप दिया जाता है।
भव्य आयोजन को देखते हुए प्रशासन टेंट व अन्य संबंधित काम तो तीन-चार दिन पहले ही पूरा करवा लेता है ताकि एक-दो दिन पहले आने वाले श्रद्धालुओं को भी दिक्कत न हो। इस बार मार्च भी खत्म होने को है, लेकिन किसी भी काम का ठेका नहीं दिया गया। सारा मामला आयोग की अनुमति पर टिका हुआ है।