
आज पति और बच्चों की दीर्घायु के लिए ३६ घंटे का निर्जला व्रत रखेंगी महिलाएं
नहाय-खाय से शुरू होगा छठ पर्व, 8 को समापन
पन्ना. लोगों की आस्था और भावना से जुड़ा त्योहार छठ पर्व कल से शुरू होगा। छठ पूजा दिवाली के बाद मनाए जाने सबसे बड़ा त्योहार है, इसे कार्तिक छठ पूजा भी कहते हैं। लोगों ने घरों में तैयारियां शुरू कर दी है। दिवाली खत्म होते ही पूर्वोत्तर इलाकों में छठ महापर्व की तैयारी शुरू कर दी जाती है। महिलाएं पति और बच्चों की दीर्घायु के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती है।
उगते-ढलते सूर्य की करेंगे साधना
छठ मुख्य रूप से बिहार, यूपी झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। शहर में भी छठ पर्व आस्था और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस मौके पर उगते सूर्य के साथ-साथ ढलते सूर्य की भी पूजा की जाती है। यह कठिन व्रत माना जाता है। यह आस्था और भावना से जुड़ा त्योहार है। अब यह देश भर में मनाया जाता है।
चार दिन घरों में रहेगी चहल-पहल
छठ का व्रत करने वाले लोगों के घरों में 4 दिन चहल-पहल बनी रहेगी। इस दौरान बाजार भी तरह-तरह के फलों, गन्नों से सजकर तैयार रहते हैं। धरमसागर तालाब में बड़ी संख्या में भीड़ जुटेगी। पहला दिन छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। दूसरा दिन खरना के दिन से व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू करेंगे। इस दिन सुबह से ही अन्न-जल का त्याग कर भगवान भास्कर की आराधना की जाएगी। शाम के समय अरवा चावल, दूध, गुड़ और खीर का प्रसाद बनेगा। इसे भगवान को अर्पित करने के बाद व्रती अल्प प्रसाद ग्रहण करेंगे।
कद्दू खाने का ये है महत्व
समाज के शैलेंद्र उपाध्यय बताते हैं कि नहाय खाय के दिन कद्दू खाने के पीछे धार्मिक मान्यताओं के साथ विज्ञानी महत्व भी है। इस दिन प्रसाद के रूप में कद्दू भात (चावल) ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला उपवास करते हैं। कद्दू इम्युनिटी बूस्टर है, जो व्रतियों को 36 घंटे के उपवास में मदद करता है। कद्दू खाने से शरीर में अनेक प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं। पानी की भी अच्छी खासी मात्रा पाई जाती है जो कि निर्जला उपवास में काफी मददगार होती है।
आज नहाए-खाए से होगी शुरुआत
5 नवंबर को नहाए खाए से छठ महापर्व की शुरुआत होगी। जिसका समापन 8 नवंबर को अघ्र्य देने के साथ होगा। 4 दिनों तक चलने वाले छठ पूजा का पहला दिन नहाए खाए से शुरू होता है। तीसरे दिन डूबते सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। वहीं चौथे दिन उगते सूर्य को अघ्र्य देने के साथ ही इसका समापन हो जाता है।
Updated on:
05 Nov 2024 07:20 pm
Published on:
05 Nov 2024 07:19 pm
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