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सागर में देश का सबसे बड़ा अवैध मदरसा, पुलिस का खूफिया तंत्र फेल, जानकारी भी गलत दी

परसोरिया के पास मौलाना आजाद मिडिल स्कूल की आड़ में संचालित मिले अवैध मदरसे में मध्यप्रदेश बाल संरक्षण आयोग के निरीक्षण के बाद कई चौकाने वाली चीजें सामने आ रहीं हैं। आयोग सदस्य ओंकार सिंह का कहना है कि जांच में धर्म विशेष की शिक्षा के प्रमाण मिले हैं। संस्था में कितने बच्चे दर्ज हैं यह जानकारी छिपाई जा रही है।

सागरAug 11, 2024 / 12:19 pm

Madan Tiwari

अवैध मदरसा

अवैध मदरसा

मप्र बाल संरक्षण आयोग ने कलेक्टर को जांच के लिए बोला, पुलिस और शिक्षा विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में

सागर. परसोरिया के पास मौलाना आजाद मिडिल स्कूल की आड़ में संचालित मिले अवैध मदरसे में मध्यप्रदेश बाल संरक्षण आयोग के निरीक्षण के बाद कई चौकाने वाली चीजें सामने आ रहीं हैं। आयोग सदस्य ओंकार सिंह का कहना है कि जांच में धर्म विशेष की शिक्षा के प्रमाण मिले हैं। संस्था में कितने बच्चे दर्ज हैं यह जानकारी छिपाई जा रही है। सानौधा थाना पुलिस को बच्चों की संख्या के संबंध में भी गलत जानकारी दी गई है। मौके पर एक भी गैर मुस्लिम छात्र नहीं मिला है। जिस भवन को स्कूल/छात्रावास बताया जा रहा है वहां इवादतगाह, वुजूखाना मिला है। बच्चों को दिए जाने वाले खाने के मेन्यु में मांसाहारी चीजें शामिल हैं, जो स्कूल शिक्षा विभाग के नियमों के विरुद्ध है।

– शिकायत करने वाले बच्चे गायब

मप्र बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि उन्हें परसोरिया स्थित मौलाना आजाद स्कूल का एक वीडियो मिला था। जिसमें बच्चे रोते हुए बोल रहे हैं कि यहां सुबह 4.30 बजे उठाकर जबरदस्ती मदरसे में पढऩे बैठा दिया जाता है, उनके साथ मारपीट भी होती है। इसी के बाद शुक्रवार को टीम निरीक्षण करने पहुंची थी, लेकिन वह बच्चे संस्था से गायब हैं। उन्हें कहां भेजा गया है, बच्चे कहां के थे यह जानकारी छिपाई जा रही है।

– पुलिस को आठवीं तक की जानकारी दी

निरीक्षण के दौरान आयोग की टीम ने संस्था के कुछ दस्तावेज जब्त किए हैं। उनमें से एक दस्तावेज 6 जून 2024 का है, जिसमें सानौधा थाना पुलिस को दी गई संस्था के बच्चों, शिक्षकों और कर्मचारियों की जानकारी दी गई है। इसमें संस्था ने पहली से आठवीं तक पहले से अध्ययनरत और नए आवेदनों को मिलाकर संख्या 361 बताई है। 23 बच्चे स्वाध्यायी बताए गए हैं, लेकिन आयोग की टीम को निरीक्षण में संस्था में 9वीं व 10वीं के बच्चे मिले हैं। इनकी संख्या कितनी है यह जानकारी पुलिस को नहीं दी गई।

– 90 फीसदी बच्चे दूसरे जिलों के

शासन से संस्था को गैर आवासी स्कूल की अनुमति है, लेकिन यहां पर छात्रावास संचालित हो रही है। आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि स्कूल में करीब 365 बच्चे मिले, जिसमें 90 फीसदी बच्चे प्रदेश के अन्य जिलों के हैं, केवल 10 प्रतिशत बच्चे ही स्थानीय है वह सभी भी मुस्लिम समुदाय के ही हैं। संस्था स्थानीय बच्चों को एडमीशन नहीं देती है। कुछ ऐसे बच्चे भी मिले हैं, जिनका मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना में नाम होना चाहिए, लेकिन नहीं है। ऐसे बच्चों की सूची भी निकाली है।

– पुलिस व शिक्षा विभाग ने नहीं दिया ध्यान

आयोग के निरीक्षण के बाद पुलिस और शिक्षा विभाग की भूमिका सवालों के घेरे में है। स्कूल के साथ सालों से यहां अवैध मदरसा संचालित हो रहा है। आठवीं तक की मान्यता है, लेकिन संस्था में 9वीं, 10वीं के बच्चे मिले हैं। आयोग इसे देश का सबसे बड़ा अवैध मदरसा होने का दावा कर रहा है। इस सबके बीच शिक्षा विभाग और पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में हैं। नियम विरुद्ध तरीके से संचालित अवैध मदरसे में चोरी-छिपे बच्चों को कौन सा पाठ पढाया जा रहा है यह जानने की न तो शिक्षा विभाग ने कभी कोशिश की न ही पुलिस ने इस पर ध्यान दिया।

– जांच के लिए बोला है

डीपीसी सागर को स्कूल/मदरसे की जांच के निर्देश दिए हैं। वहीं कलेक्टर से भी इस मामले की विस्तृत जांच कराने के लिए बोला है। आयोग भी दस्तावेजों का परीक्षण कर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा।
ओंकार सिंह, सदस्य, मप्र बाल संरक्षण आयोग

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