scriptDivine words of Pandit Nagarji in Shrimad Bhagwat Katha | श्रीमद भागवत कथा में पंडित नागरजी के दिव्य वचन | Patrika News

श्रीमद भागवत कथा में पंडित नागरजी के दिव्य वचन

Published: Dec 25, 2022 12:58:07 am

Submitted by:

Shailendra shirsath

श्रीमद भागवत कथा में पंडित नागरजी के दिव्य वचन
यहां जो है वह सर्वथा त्याज्य है, त्याग में ही शांति मिलेगी
चित्तौड़ा पहाड़ी पर उमड़ा श्रद्धा का सैलाब
कल होगा कथा का विश्राम

श्रीमद भागवत कथा में पंडित नागरजी के दिव्य वचन
श्रीमद भागवत कथा में पंडित नागरजी के दिव्य वचन
सांवेर. श्रीमद भागवत कथा के दशम स्कंध की कथा प्रसंग में ब्रह्मज्ञान का ज्ञान देते हुए अपने दिव्य प्रवचनों में पंडित कमलकिशोर नागर ने कहा कि आपकी देह आत्मा का साथ नहीं दे सकती तो सांसारिक धन, संपदा जैसी अन्य त्याज्य वस्तुओं का क्या मोल है। यह सभी सर्वथा त्याज्य है। इनको त्यागोगे तो ही शांति मिलेगी क्योंकि त्याग में ही शांति है। आदमी धन-संपदा, पद और बल से नहीं चमकता है बल्कि ईश्वर की नजर पडऩे पर चमकता है।
श्रीमद् भागवत गोशाला समिति के तत्वावधान में ठाकुर अंतरसिंह भाटी द्वारा आयोजित पंचम दिवस की भागवत कथा के साथ दिव्य प्रवचन में नागरजी ने कहा कि ब्रह्म सत्य है और संसार मिथ्या है फिर भी मिथ्या में पड़े हो। सत्संग इसी मिथ्या से बोध कराने का का उत्तम साधन है। बोध अर्थात ज्ञान का प्रकाश गुरु ही दे सकता है। गुरु एक व्यक्ति नहीं बल्कि प्रकाश है। भास्कर, चंद्र, दीपक जैसे प्रकाश पुंज का समय नियत रहता है, लेकिन गुरु अर्थात ज्ञान का प्रकाश अखंड रहता है। शब्द में बड़ी ताकत होती है। शब्द सुनने से आत्मबल मिलता है क्योंकि शब्द से ही ज्ञान मिलता है, जिसे गुरु ही दे सकता है। भागवत में श्रीकृष्ण लीलाओं के प्रसंग में नागरजी ने कहा कि गोकुल और ब्रज के लोगों के बीच में श्रीकृष्ण रहे किन्तु वे उन्हें पहचान न सके। उसी तरह जैसे आत्मा और परमात्मा एक है दूसरे के पूरक है किन्तु मनुष्य पहचान नहीं पाता है। नागरजी के कहा कि जिसके पास बैठने या जाने मात्र से दु:ख आधा और खुशियां दुगनी हो जाए समझ लेना वही आपका सच्चा साथी है।
श्रद्धालुओं से छोटी पड़ गई पहाड़ी
सांवेर से 7 किमी दूर स्थित चित्तौड़ा ग्राम की पहाड़ी पर विकसित श्रीमद् भागवत गोशाला के विशाल परिसर में इन दिनों पंडित नागर के श्रीमुख से कथा-प्रवचन सुनने के लिए महिला-पुरुषों का इतना सैलाब उमड़ रहा है कि शनिवार को विशाल कथा स्थल भी छोटा पड़ गया। शनिवार को कथा में क्षेत्रीय विधायक और मंत्री तुलसी सिलावट भी पहुंचे और व्यासपीठ पूजन कर पं. नागरजी तथा कथा आयोजक ठाकुर अंतरसिंह भाटी का अभिनंदन किया।
व्यासपीठ पर यह प्रदूषण नहीं होने दिया
पं. कमलकिशोर नागर शनिवार को व्यासपीठ से गर्वपूर्वक बोले कि 1977 से भागवत कथा कर रहे हैं किन्तु आज तक व्यासपीठ से चंदा मांगने या चंदा देने वालों के नाम की उद्घोषणा का प्रदूषण कथा में नहीं होने दिया है। उन्होंने कहा कि चित्तौड़ा पहाड़ी पर करोड़ों की लागत से गोशाला का निर्माण हो गया है। अभी करोड़ों की देनदारी भी है। चाहते तो इस गोशाला के नाम पर इस कथा में चंदा मांगकर और देने वालों के नामों की उद्घोषणा करवाकर अन्य लोगों को प्रेरित करने का उपक्रम करके लाखों रुपए प्राप्त कर सकते थे किन्तु ये इसलिए नहीं किया कि मांगना मरण के समान है। अब तक नहीं मांगा तो अब कथा में ये प्रदूषण क्यों फैलाएं।
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