श्वानों के हमले बढ़े, अस्पताल मेंं महीनेभर से एंटी रैबीज इंजेक्शन तक नहीं
Published: Nov 08, 2022 10:58:46 pm
-पिछले 10 में ही 40 से लोग हुए शिकार
-सिविल में नहीं है एंटी रैबिज इंजेक्शन
-इधर नसबंदी पर सालभर में लाखों रुपए खर्च किए


श्वानों के हमले बढ़े, अस्पताल मेंं महीनेभर से एंटी रैबीज इंजेक्शन तक नहीं
डॉ. आंबेडकर नगर (महू). शहर में तेजी से आवारा श्वानों संख्या बढ़ते जा रही है। छावनी परिषद ने सालभर में लाखों रुपए खर्च कर 2 हजार से अधिक श्वानों की नसबंदी की है। लेकिन यह दावे घोघले नजर आ रहे हंै। हकीकत यह है कि शहर में श्वान आक्रमक रवैया अपनाकर लोगों को जख्मी कर रहे हंै। हर दिन 4 ये 5 लोग श्वानों से जख्मी होकर सिविल अस्पताल पहुंचे रहे हंै। लेकिन सरकारी अस्पताल की स्थिति यह है कि यहां एंटी रैबिज इंजेक्शन ही नहीं है। मजबूरी में घायलों को निजी क्लीनिक पर महंगा इलाज करना पड़ रहा है।
छावनी परिषद के 8 वार्ड में हजारों की संख्या में आवारा श्वान है। लगातार बढ़ रही संख्या से श्वानों को पर्याप्त आहार नहीं मिल पा रहा है। जिससे श्वान आक्रमक हो रहे है और आए दिन लोगों को निशाना बना रहे हंै। हाल ही में बैंक से रिटायर्ड अफसर दिनेश ढोली श्वान के काटने से घायल हो चुके हंै। उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले सुबह टेनिस खेलने जा रहा था। वहां आवारा श्वान घूम रहे थे। जिसमें से एक श्वान ने हमला कर दो जगह पर काट लिया है। सिविल अस्पताल में फोन लगाया तो बताया गया है कि एंटी रैबिज इंजेक्शन नहीं है। जिसके बाद परिषद के अस्पताल में इलाज कराया है। रोहित प्रजापति ने बताया कि रात को घर जा रहा था, तभी श्वान के समूह ने हमला कर दिया और पेर में काट लिया। सरकारी अस्पताल में इंजेक्शन नहीं मिलने पर निजी अस्पताल में इलाज कराया।
नसबंदी पर 19 लाख रुपए खर्च
छावनी परिषद आवारा श्वानों के की संख्या समिति करने के लिए निजी एजेंसी से नसबंदी कराता है। गत एक वर्ष में निजी एजेंसी ने 2 हजार 400 श्वानों की नसबंदी की है। जिस पर करीब 800 रुपए प्रति श्वान खर्च किया गया। इस लिहाज से करीब 19 लाख 20 हजार रुपए खर्च कर दिए गए हैं। लेकिन शहर में श्वानों की संख्या समिति होने की जगह लगातार बढ़ते जा रही है। परिषद के स्वास्थ्य अधीक्षक मनीष अग्रवाल ने बताया कि फिलहाल श्वानों की नसबंदी के लिए नया टेंडर जारी किया गया है। पिछले ठेके में 2400 श्वानों की नसबंदी की गई है। श्वान अपनी जगह बदलते रहते हैं इसलिए संख्या में बढ़ रही हंै। नसबंदी के दौरान कुछ श्वान भी छूट जाए तो कुछ समय में कई गुना श्वान बढ़ जाते हंै।
महीने भर से नहीं है एंटी रैबिज इंजेक्शन
सिविल अस्पताल में से मिली जानकारी के अनुसार, अस्पताल में हर दिन श्वान के काटने 4 से 5 केस आ रहे हैं। लेकिन अस्पताल के महीनेभर से एंटी रैबिज इंजेक्शन ही नहीं है। घायलों को निजी अस्पताल में महंगा इंजेक्शन लगवाना पड़ रहा है।