गुजरात में हालात विस्फोटक
श्रमिकों को सड़कों पर उतरने को विवश होना पड़ा
Explosive situation in Gujarat
Workers were forced to hit the streets
घर जाने की जिद पर उतरे प्रवासी श्रमिकों का गुस्सा
सुनील मिश्रासूरत. कोरोना के बढ़ते मामलों और प्रवासी मजदूरों की घर वापसी को लेकर जिस तरह से भाजपा शासित प्रदेश गुजरात में हालात विस्फोटक हो रहे हैं, वे राज्य सरकार के लिए बेहद चिन्ताजनक माने जा सकते हैं। ऐसा लग रहा है कि सब कुछ नियंत्रण के बाहर जा रहा है। घर जाने की जिद पर उतरे प्रवासी श्रमिकों का गुस्सा सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। अचानक ऐसे क्या हालात बन गए कि श्रमिकों को सड़कों पर उतरने को विवश होना पड़ा है।
https://www.youtube.com/watch?v=Bkr2KvGthKohttps://www.patrika.com/surat-news/people-on-the-road-wishing-to-go-to-the-village-6067855/ आक्रोशित मजदूरों को आखिर क्यों सड़कों पर उतरना पड़ा? सरकार एवं प्रशासन को इसके कारण भी तलाशने होंगे कि आक्रोशित मजदूरों को आखिर क्यों सड़कों पर उतरना पड़ा? हालांकि कहा जा सकता है कि लॉकडाउन के चलते जहां मजदूरों की कमाई बंद हो गई और भोजन जुटाने के लिए उन्हें स्वाभिमान त्याग कर लाइनों में लगना पड़ा। इससे मेहनत करके परिवार का गुजारा चलाने वाले मजदूरों का मन आहत हुआ है। मजदूरों का दाना पानी भी बंद होने की खबरों के बीच जिला प्रशासन और राज्य सरकार दावा कर रहे हैं कि वे सभी जरूरतमंदों को राशन और भोजन पहुंचा रहे हैं। आखिरकार हमें देखना होगा कि व्यवस्था में कहां चूक हो गई क्यों इन तक राशन नहीं पहुंचा और क्यों सरकार उन्हें यह आश्वासन देने में विफल रही कि उनकी हर जरूरतों का ध्यान रखा जाएगा। कहा जाता है कि उन्हें ठेकेदारों और फैक्ट्री मालिकों ने भी बेसहारा छोड़ दिया ऐसे में अब श्रमिकों के पास घर लौटने के अलावा और कोई मार्ग भी शायद ही बचा है। घर वापसी की प्रक्रिया में खामियों ने मजदूरों के आक्रोश को और बढ़ा दिया है। सूरत,वापी, वलसाड, अहमदाबाद, राजकोट सहित अनेक शहरों और कस्बों में जिस तरह आक्रोशित श्रमिकों ने सड़कों पर उतरकर हंगामा किया, वह राज्य सरकार और प्रशासन की विफलता ही मानी जाएगी। साथ ही मजदूरों के भरोसे चलने वाली इंडस्ट्रीज के भविष्य पर भी सवाल उठा रही है। भूख और बेरोजगारी की मार झेल रहे मजदूरों को संभालने में जिस तरह से गुजरात सरकार और जिला प्रशासन को तत्परता से काम करना चाहिए था वह निश्चित तौर पर नहीं हो पाया। आगे हालात और न बिगड़ें, इसके लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड सहित अन्य राज्यों की सरकारों से समन्वय स्थापित कर जल्द ही कुछ समाधान निकालने की कोशिश करनी चाहिए ताकि श्रमिकों का आक्रोश और अधिक न फैल जाए और स्थिति नियंत्रण से बाहर न हो जाए। जिस तरह से ओडिशा के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई गई हैं, उसी तरह से अधिक संख्या में ट्रेन चलाकर श्रमिकों को उनके घर तक पहुंचाने का प्रबंध करना होगा। ऐसा करके ही उनका भरोसा भी जीता जा सकता है और भविष्य में उनको वापस लौट आने के लिए प्रेरित भी कर सकते हैं। मजदूरों ने अगर कहीं ठान लिया कि वापस नहीं लौटेंगे तो मजदूरों के भरोसे चलने वाली कई इंडस्ट्रीज बंद हो सकती हैं। निर्माणाधीन प्रोजेक्ट अधर में लटक जाएंगे। जो आर्थिक विकास के पहिए को थाम देने का काम करेगा।