अहमदाबाद

फीस कानून का अमल २०१७ से कराने को सुप्रीमकोर्ट पहुंची सरकार

सुप्रीमकोर्ट की ओर से दिए गए अंतरिम निर्देश में कुछ अन्य मुद्दों पर भी मांगा मार्गदर्शन

अहमदाबादFeb 07, 2018 / 11:22 pm

Nagendra rathor

अहमदाबाद. गुजरात निजी स्कूल फीस नियमन अधिनियम-२०१७ के २५ अप्रेल १७ से क्रियान्वित होने की अधिसूचना जारी होने बाद मामले के सुप्रीमकोर्ट में पहुंचने के बाद भी राज्य के निजी स्कूलों की फीस को लेकर असमंजस की स्थिति है।
ऐसे में गुजरात सरकार इस कानून का अमल वर्ष २०१७-१८ से ही कराने के लिए एक बार फिर से सुप्रीमकोर्ट पहुंची है।बुधवार को गुजरात सरकार की ओर से सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर करके कुछ दिनों पहले एक फरवरी को दिए गए अंतरिम आदेश के संदर्भ में कुछ मुद्दों पर कोर्ट से मार्गदर्शन मांगा है।

इसमें सबसे अहम मुद्दा इस कानून के अमल के समय को लेकर है, जिसमें इसका अमल वर्ष २०१७-१८ से किया जाए या फिर शैक्षणिक वर्ष २०१८-१९ से। सरकार की मांग है कि इसका अमल वर्ष २०१७-१८ से किया जाए।
शिक्षामंत्री भूपेन्द्र सिंह चुड़ास्मा ने सरकार के इस कदम की जानकारी देते हुए संवाददाताओं को बताया कि सुप्रीमकोर्ट के अंतरिम निर्देश में कुछ मुद्दों को लेकर कोर्ट से मार्गदर्शन मांगा है। इसके लिए सुप्रीमकोर्ट में बुधवार को याचिका दायर की है। इसमें प्रमुख मुद्दा यह कानून कब से लागू किया जाए उसको लेकर एवं जो पुराने मामले हैं और जिनकी फीस निर्धारित हो चुकी है उसके अमल को लेकर मार्गदर्शन मांगा है।
राज्य सरकार की इच्छा है कि फीस कानून का अमल वर्ष २०१७-१८ से ही हो। इसके अलावा सरकार की ओर से फीस निर्धारण समितियों का गठन किया गया है। इन समितियों के समक्ष आवेदन करने वाले स्कूलों में से जिन स्कूलों की फीस निर्धारित हो गई है। इसके आदेश जारी हो गए हैं, उसका अमल कराने को लेकर भी मार्गदर्शन मांगा है। सुप्रीमकोर्ट में जाने का मुख्य उद्देश्य यह भी है कि खुद सुप्रीमकोर्ट ने ही अपने अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया था कि उनके आदेश को लेकर यदि कोई भी स्पष्टता या मार्गदर्शन लेना हो तो सुप्रीमकोर्ट में ही आना होगा।

ज्ञात हो कि सरकार की ओर प्राइमरी में १५, माध्यमिक में २५ और उच्चतर माध्यमिक में २७ हजार रुपए की सालाना फीस का कट ऑफ घोषित किया गया है। इस हिसाब से फीस लेने को राज्य के ज्यादातर बड़े निजी स्कूल तैयार नहीं है। वहीं इन स्कूलों के अभिभावक व अभिभावक संगठन भी सरकार की ओर से घोषित किए गए कट ऑफ से ज्यादा फीस देने का विरोध कर रहे हैं। ऐसे में सरकार बीच का रास्ता तलाश रही थी।
शिक्षामंत्री ने निजी स्कूलों से फीस कानून का अमल करने की अपील भी की थी, लेकिन स्कूल इसके लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में सरकार फिर से सुप्रीमकोर्ट मार्गदर्शन लेने पहुंची है। ताकि अंतरिम आदेश के चलते पैदा हुई असमंजस की स्थिति को दूर किया जा सके।
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