
बांसवाड़ा की शहर की मुख्य सड़क पर कुत्तों का झुंड।
चिंताजनक : उपचार में करोड़ों रुपए खर्च पर अंकुश के प्रयास नहीं, वर्ष दर वर्ष बढ़ रही बांसवाड़ा जिले में कुत्तों के हमलों की घटनाएं
जिले में कुत्तों के हमलावर होने की घटनाएं सामने आ रही हैं। बच्चों से लेकर बुुजुर्ग डॉग बाइट के शिकार को रहे हैं। बीते चार वर्ष 7 माह में 25 हजार 372 लोगों को कुत्तों ने काटा है। इनके उपचार के लिए 6 करोड़ रुपए से अधिक के इंजेक्शन लगाए जा चुके हैं। पर, इन हमलों पर रोक के लिए शासन प्रशासन की समस्त गतिविधियां फाइलों में धूल खा रही हैं। नगर परिषद, पालिका और पंचायत स्तर अंकुश की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। https://www.patrika.com/news-bulletin/initiative-youth-carving-eco-friendly-idols-of-ganpati-from-cow-dung-18963301
पशु चिकित्सकों की मानें तो स्ट्रीट डॉग्स के आक्रामक होने के कई कारण हैं। पर, मुख्य वजहों की बात करें तो भूख, बीमारी, शारीरिक परेशानी और डर का भाव देखने में ज्यादा सामने आता है। इसलिए इन पर अंकुश लगाना भी जरूरी है क्यों कि इनके द्वारा अब हमले की शिकायत ज्यादा देखने को मिली और इनमें कुछ केस तो काफी घातक भी हैं।
पीड़ितों को लगाए 6 करोड़ के डॉग बाइट के इंजेक्शन
इन कुत्तों के हमलों से आमजन से प्रभावित हो ही रहा है। दूसरी ओर, सरकार और चिकित्सा विभाग पर भी आर्थिक बोझ बढ़ा है। विभाग की मानें तो वर्ष 2020 जनवरी से लेकर जुलाई 2024 के बीच तकरीबन 6 करोड़ 35 लाख 73 हजार 539 रुपए की लागत के डॉग बाइट के इंजेक्शन जिले में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत उपयोग के लिए भेजे गए। इनमें डॉग बाइट में काम आने वाले दोनों प्रकार के इंजेक्शन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त अन्य चिकित्सकीय संसाधनों का खर्च अलग।
जिले में इतने हुए शिकार
वर्ष : कुत्तों के शिकार
2020 : 5412
2021 : 623
2022 : 6491
2023 : 7137
2024 : 5809 जुलाई तक
वर्ष 2024 में एमजीएच में कराया उपचार
महीना : मरीजों की संख्या
जनवरी : 255
फरवरी : 197
मार्च : 179
अप्रेल : 177
मई : 143
जून : 111
जुलाई : 130
अगस्त : 128
कुल : 1325
सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध कराए गए इंजेक्शन
वर्ष : इंजेक्शन की संख्या
2020 : 26923
2021 : 25524
2022 : 36172
2023 : 29776
2024 : 23307
इन कारणों से कुत्ते होते हैं हमलावर
https://www.patrika.com/banswara-news/rajasthan-banswara-news-panther-attack-woman-and-girl-seriously-injured-referred-to-udaipur-18957267
1. स्वास्थ्य समस्या
2. डर या घबराहट
3. तनाव
4. प्राकृतिक प्रवृत्ति
5. आदत
6. सामाजिककरण की कमी
(विशेषज्ञों के अनुसार )
एक्सपर्ट व्यू : गर्मी में असर ज्यादा
शारीरिक बनावट के हिसाब से कुत्तों में गर्मी के दिनों में हमले की प्रवृत्ति ज्यादा होती है। बारिश के दिनों में चूंकि इनका प्रजनन का समय होता है तो ये अधिक संख्या में नजर आते हैं। लेकिन ये अपने झुंड में व्यस्त रहते हैं। लेकिन गर्मी के दिनों में इन्हें शारीरिक बनावट के चलते अधिक परेशानी उठानी पड़ती है। मसलन इनमें पसीना नहीं निकल पाता है। इस कारण इनके शरीर का तापमान बढ़ता है। जिससे इन्हें परेशान होती है और उग्रता बढ़ती है। देखने में आया है कि कुत्तों की संख्या भी तेजी बढ़ी है। इनसे बचने के लिए स्वयं का सतर्क होना जरूरी है। इसलिए इनके पास अनावश्यक नहीं जाएं, इनके पास वाहनों को धीमी गति से निकालें। यह भी देखने में आता है कि पर्याप्त खाना न मिलने के कारण भी इनमें एग्रेसन बढ़ता है। और इस कारण ये मवेशियों और छोटे बच्चों पर भी हमला करने से नहीं चूकते हैं। मेल कुत्ते अधिक एग्रेसिव होते हैं। - डॉ. पंकज पांडेय, वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी, पॉलीक्लीनिक , बांसवाड़ा
Published on:
05 Sept 2024 09:28 pm
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