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स्नान यात्रा के साथ ही आज से शुरू होगा जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा महोत्सव, जानें कब भगवान को लगती है लू

मंदिर समिति ने शुरू की महोत्सव की तैयारियां पन्ना. मंदिरों की नगरी पन्ना का भगवान जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा महोत्सव करीब 175 साल पुराना है। यहां इस साल रथ यात्रा महोत्सव का शुभारंभ ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णमासी पर 22 जून को सुबह 9.30 बजे भगवान की स्नान यात्रा के साथ होगा। सुबह 9 बजे से गाजे-बाजे […]

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भगवान की बीमारी के दौरान नहीं होते दर्शन

भगवान की बीमारी के दौरान नहीं होते दर्शन

मंदिर समिति ने शुरू की महोत्सव की तैयारियां

पन्ना. मंदिरों की नगरी पन्ना का भगवान जगन्नाथ स्वामी रथ यात्रा महोत्सव करीब 175 साल पुराना है। यहां इस साल रथ यात्रा महोत्सव का शुभारंभ ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णमासी पर 22 जून को सुबह 9.30 बजे भगवान की स्नान यात्रा के साथ होगा। सुबह 9 बजे से गाजे-बाजे के साथ भगवान के विगृह को मंदिर परिसर में ही बनी छोटी मढिय़ा में लाया जाएगा। 108 छोटे घटों में औषधीय युक्त जल भरा जाएगा। इन घटों के जल से एक हजार छिद्रों वाले घड़े से भगवान को स्नान कराया जाएगा व आरती उतारी जाएगी। भगवान के स्नान के लिए भरे गए घटों को श्रद्धालुओं के बीच लुटाने की परंपरा रही है। इन्हें लूटने के लिए हजारों की संख्या में लोग मंदिर परिसर में पहुंचते हैं। लोग इन घटों को अपने-अपने घरों के पूजा स्थल में रखते हैं। मान्यता के अनुसार भगवान को स्नान के दौरान लू लग जाती है। जिससे वे आगामी 15 दिनों के लिए बीमार पड़ जाते हैं।
भगवान की बीमारी के दौरान नहीं होते दर्शन
भगवान की बीमारी के दौरान राजवैद्य प्रतिदिन उनकी हालत देखने के लिए आते हैं और उन्हें जड़ी-बूटियां दवा के रूप में देते हैं। इन दौरान श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन नहीं होते हैं और मंदिर के कपाट बंद रखे जाते हैं। मंदिर के अंदर सिर्फ पुजारी और वैद्य सहित समिति से जुड़े चंद लोगों को ही जाने की अनुमति होती है। बीमारी के दौरान भगवान को मेला का भोग नहीं लगाया जाता है। उन्हें औषधियुक्त युपाच्य भोजन ही दिया जाता है।
शहर में तीन स्थानों से निकलती हैं रथ यात्राएं
शहर में जगन्नाथ स्वामी की तीन रथ यात्राएं निकाली जाती हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण रथ यात्रा जगदीश स्वामी मंदिर बड़ा देवाला की है। इसके अलावा ङ्क्षहदुपत महज स्थित जगदीश स्वामी मंदिर और कटरा मोहल्ला स्थित जगदीश स्वामी मंदिर से भी प्राचीन समय से ही रथ यात्रा निकाले जाने की परंपरा है।
इस तरह रहेगा रथ यात्र का कार्यक्रम
स्नान यात्रा- ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णमासी शनिवार 22 जून को सुबह 9.30 बजे से, पथ प्रसाद वितरण- अषाढ कृष्ण अमावस्या शुक्रवार 5 जुलाई शाम को 7.30 बजे से
धूप-कपूर आरती- अषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा शनिवार 6 जुलाई रात 8 बजे से, रथ यात्रा जगदीश स्वामी मंदिर से लखूरन बाग के लिए प्रस्थान-अषाढ़ शुक्ल दोज रविवार 7 जुलाई शाम 6.30 बजे
जनकपुर मंदिर में भगवान का प्रवेश- अषाढ़ शुक्ल चौथ बुधवार 10 जुलाई सुबह 9.30 बजे।
11 जुलाई को जनकपुर मंदिर में कथा, पूजन, आरती हवन और भंडारा- अषाढ़ शुक्ल षष्ठी शुक्रवार 12 जुलाई की दोपहर से
लक्ष्मीजी की सवारी का जनकपुर के लिए प्रस्थान व वापसी अषाढ़ शुक्ल सप्तमी शनिवार 13 जुलाई शाम 5 बजे मंदिर से प्रस्थान।
रथ यात्रा की जनकपुर से वापसी व चौपड़ा में रात्रि विश्राम
अषाढ़ शुक्ल अष्टमी रविवार 14 जुलाई शाम 6 बजे से, रथ यात्रा की चौपड़ा से लखूरनबाग वापसी व रात्रि विश्राम- अषाढ़ शुक्ल नवमी सोमवार 15 जुलाई शाम 6.30 बजे, रथ यात्रा की लखूरन बाग से जगन्नाथ स्वामी मंदिर में वापसी, संवाद व मंदिर के बाहर रात्रि विश्राम- अषाढ़ शुक्ल दसवीं, मंगलवार 16 जुलाई प्रस्थान समय शाम 6.30 बजे।