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तीन साल में भी नहीं बन पाया मोक्ष धाम का इलेक्ट्रिक शव दाह गृह

– दाह संस्कार के लिए लकड़ी-कंडे का बन सकता है बेहतर विकल्प

छिंदवाड़ाSep 16, 2024 / 10:31 am

prabha shankar

electric crematorium

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पातालेश्वर मोक्ष धाम में कभी लकडिय़ों की कमी तो कभी कंडों की कमी बनी रहती है। यदि उपलब्ध है तो उसके लिए भी दोगुनी कीमत चुकानी पड़े तो अपने गमगीन परिजन बिना कुछ बोले पूरी राशि दे देते हैं। पिछले दिनों लकडिय़ों की कमी पर काफी हो हल्ला हुआ था, लेकिन किसी ने मोक्ष धाम में निर्माणाधीन इलेक्ट्रिक शवदाह गृह की बात नहीं की। जबकि पिछले तीन साल से बन रहे इलेक्ट्रिक शवदाह गृह को अब तक बन जाना चाहिए था। नगर निगम गरीबी रेखा से नीचे वाले व्यक्तियों को लगभग 4000 रुपए की लकड़ी दे देता है, परंतु इसे यदि बिजली के खर्च के रूप में समझें तो इसके एक चौथाई खर्च में दाह संस्कार हो सकता है।

कोरोना की दूसरी लहर में शुरू हुआ था काम

साल 2021 में जब कोरोना की दूसरी लहर आई थी और हर दिन दर्जनों लोग कोरोना संक्रमण से मर रहे थे, हर दिन नगर निगम के कर्मचारी दाह संस्कार कर रहे थे, उसी दौरान नगरीय प्रशासन विभाग ने निगम निगम को आदेश जारी किए थे कि जनभागीदारी या किसी भी अन्य मद से इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का निर्माण किया जाए। तब पातालेश्वर मोक्षधाम में स्थान का चयन करके बनाना शुरू कर दिया गया। बाद में फिर स्थान बदला और नई जगह निर्माण किया जा रहा है। गुजरात की कंपनी ने काम तो शुरू किया, लेकिन अभी तक काम अधूरा ही है।

आठ लाख रुपए का हुआ भुगतान

मोक्षधाम में बन रहे इलेक्ट्रिक शवदाह गृह में अभी तक कुल आठ लाख रुपए का काम हुआ है। बाकी काम बारिश की आड़ लेकर रुका हुआ है। अंदर भट्टी का ढांचा तैयार है, जबकि कुछ लोहे की चिमनी की सामग्री बाहर ही पड़ी है, जो पानी से भीगकर जंग पकड़ रही है। इसे भी छत पर इंस्टाल किया जाना है। इलेक्ट्रिक पैनल से लेकर हाई वोल्टेज ट्रांसफार्मर, बिजली कनेक्शन, भट्टी के अंदर ले जानी वाली शटर सभी कुछ बनाया जाना है। कार्य के प्रभारी गीतेश धुर्वे ने बताया कि लगभग 74 लाख के इस शवदाह गृह के लिए कंपनी ने जितना भी काम किया उसके आधार पर भुगतान कर दिया गया है। काम और होने पर भुगतान होगा। काम बारिश के कारण रुका हुआ है।
इनका कहना है
इलेक्ट्रिक शवदाह गृह का काम तेज गति से हो रहा है। यदि इसमें फंड आड़े आएगा तो उसकी भी अलग से व्यवस्था की जाएगी।- विक्रम अहके, महापौर

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