अहमदाबाद

“तेरी सूरत से थी आलम में बहारों को सबात तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है “…..

National bird day, The fall of a sparrow,

अहमदाबादNov 13, 2019 / 10:26 pm

nagendra singh rathore

“तेरी सूरत से थी आलम में बहारों को सबात तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रक्खा क्या है “…..

उपेन्द्र शर्मा
अहमदाबाद. कल 12 नवंबर विश्व के नामचीन पक्षीविद सलीम अली का जन्मदिन था। इसे राष्ट्रीय पक्षी दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। सलीम का जन्म १८९६ में मुंबई में हुआ और मृत्य २० जून १९८७ को हुई। इस युग में ९१ बरस का जीवन बिना प्रकृति प्रेम के सम्भव नहीं। किसी सामान्य से इन्सान की जिन्दगी में कोई छोटी सी घटना कितना बड़ा परिवर्तन कर सकती है इसकी मिसाल है सलीम अली। सलीम अपने लड़कपन से ही शिकारी थे। वे पक्षियों का शिकार किया करते थे। उनकी बिरयानी बनाकर खाने के शौकीन थे। एक बार शिकार के दौरान एक चिड़िया घायल होकर उनके सामने गिरी तो उनका हृदय द्रवित हो गया और उन्होने सदा के लिए शिकार छोड़ दिया। इस घटना के बाद उन्होने एक किताब “The fall of a sparrow” लिखी जो पक्षी प्रेमियों के लिए किसी धर्म ग्रन्थ की भान्ति है। सलीम एक मामूली शिकारी से दुनिया के मशहूर पक्षी विज्ञानी बने। सलीम ने जिन्दगी भर जो काम किये वो आज दुनिया भर के पक्षिप्रेमियों, प्राणिविज्ञानियों, शोधार्थियों के लिए अनुकरणीय मार्ग बन गए हैं।
एक बार फ़िर सर्दियां शुरू हो गई हैं। हमारे आस पास कई झील तालाबों पर मेहमान पारिंदों ने डेरा डाल लिया है। कुछ अभी फ्लाइट में हैं। आ रहे हैं। प्रकृति की इतनी सुन्दर व्यव्स्था है कि स्थानीय परिंदे इन मेहमानों को स्वत: ही जगह देते हैं। कोई लड़ाई नहीं कि तुम बाहरी हो यहां क्यूँ आए हो। कोई जाति धर्म नहीं देश नहीं। असली विश्व नागरिक जिन्हें किसी एक देश से दूसरे देश में जाने के लिए पासपोर्ट वीज़ा की जरुरत नहीं। इन्सान ने तो कहीं पर भारत तो कहीं पर ईरान की लकीरें खींची लेकिन परिंदों ने नहीं।
मध्य एशिया, यूरोप आदि की झीलों में पानी सर्दी के कारण जम कर बर्फ हो चुका है। ऐसे में इनके लिए वहां भोजन नहीं है। प्रकृति इस दौरान उन्हें धरती के गर्म हिस्से (खासकर भारत) में भेजती है जहां सर्दी के दौरान भी पानी जमता नहीं। परिंदों को यहां के झील तालाबों में खूब मछलियां, कीट-पतन्गे, वनस्पति मिलते हैं भोजन के रूप में। मनुष्यों ने झील तालाबों को बहुत नुकसान पंहुचाया है फ़िर भी अब भी वक्त है। बहुत कुछ बचा हुआ है। उसे भी सहेज लिया जाये तो बहुत है।
परिंदे हर किसी को अपनी तरफ आकर्षित करते हैं। सिर्फ दिमागी रूप से क्रूर और कुंठित लोग ही इन्हें पसंद नहीं करते हैं।
ऐसे में थोड़ी सी सावधानी आपके हमारे प्रेम में भी जरूरी है। बेशक उनकी तस्वीरें खींचे लेकिन पर्याप्त दूरी से। उनके बेहद पास जाकर उन्हें तंग ना करें। आप अपने ब्यूटीफुल एंगल के लिए उन्हें तंग ना करें। उनके लिए प्रकृति ने भोजन की पर्याप्त व्यवस्था की हुई है। इसलिये झील तालाब में ब्रेड, नमकीन, आटे की गोलियां, बिस्किट, अनाज आदि ना डालें। यह उनका भोजन नहीं है।
पक्षी प्रेम कोई पिकनिक नहीं है मेडिटेशन है। ऐसे में शान्ति पहली शर्त है। आपकी यह शान्ति ही उन्के लिए मेहमाननवाज़ी है। इसका खास ख्याल रखियेगा क्यों कि अतिथि देवो भव:….
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