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अब पीबीएम परिसर के शौचालयों-सीवर के शोधित पानी का होगा पुन: उपयोग

पीबीएम अस्पताल परिसर के अंदर स्थित विभिन्न अस्पतालों, वार्डों, कॉटेज वार्डों इत्यादि के शौचालयों से निकलने वाला गंदा पानी अब शोधित होगा व पुन: उपयोग हो सकेगा। गंदे पानी को शोधित करने के लिए मेडिकल कॉलेज के पीछे मैदान परिसर में 1.5 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और पंपिंग स्टेशन का निर्माण अंतिम चरण […]

बीकानेरApr 28, 2024 / 10:42 pm

Vimal

पीबीएम अस्पताल परिसर के अंदर स्थित विभिन्न अस्पतालों, वार्डों, कॉटेज वार्डों इत्यादि के शौचालयों से निकलने वाला गंदा पानी अब शोधित होगा व पुन: उपयोग हो सकेगा। गंदे पानी को शोधित करने के लिए मेडिकल कॉलेज के पीछे मैदान परिसर में 1.5 एमएलडी क्षमता के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और पंपिंग स्टेशन का निर्माण अंतिम चरण में है। एसबीआर तकनीक से तैयार हो रहे इस एसटीपी का मई में ट्रायल रन होने की संभावना है। 9.20 करोड़ की लागत से इसका निर्माण हो रहा है। इस एसटीपी से शोधित होने वाले पानी का अधिकतम उपयोग कॉलेज मैदान पार्क में हो सकेगा। संवेदक फर्म इस एसटीपी का दस साल तक रख रखाव व संचालन देखेगी।
1500 वर्ग मीटर में निर्माण

डेढ़ एमएलडी क्षमता के इस एसटीपी का निर्माण 50 गुणा 30 वर्ग मीटर में हुआ है। इस एसटीपी से पीबीएम अस्पताल परिसर के अंदर स्थित मुख्य भवन, बच्चा अस्पताल, हार्ट अस्पताल, यूरोलॉजी, जिरियाट्रिक क्लीनिक, डायबिटिक सेंटर, ट्रोमा सेंटर, टीबी अस्पताल, डेंटल अस्पताल, मानसिक रोग विभाग, एमसीएच, कैंसर अस्पताल, सभी कॉटेज वार्ड, चिकित्सकों के क्वाटर्स इत्यादि के शौचालय-सीवर एसटीपी से जुड़े हैं।
बदला स्थान, हुई देरी, बढ़ी लागत

पीबीएम अस्पताल परिसर की सीवर जाम व गंदे पानी की समस्या के निस्तारण के लिए पहले पीबीएम परिसर में ही डेढ़ एमएलडी क्षमता के एसटीपी की योजना बनी थी। काम शुरू होने से पहले एसटीपी का स्थान को बदलने की मांग भी उठी। फिर स्थान बदल कर मेडिकल कॉलेज के पीछे किया गया। इससे कार्य प्रारंभ होने में देरी हुई। पहले जहां यह प्रोजेक्ट 7 करोड़ 92 लाख रुपए की लागत में पूरा होना था। स्थान बदलने से लागत भी बढ़ गई। 1.28 करोड़ की लागत बढ़कर प्रोजेक्ट 9.20 करोड़ रुपए का हो गया।
बाहर की इमारतें बाकी

नौ करोड़ से अधिक की लागत से स्वयं का एसटीपी बनने के बाद भी पीबीएम अस्पताल परिसर से बाहर स्थित मेडिकल कॉलेज व इससे जुड़ी कई इमारतें, हॉस्टल और क्वाटर्स की सीवर लाइनें इस एसटीपी से नहीं जुड़ी हैं। जानकारों का कहना है कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन को इसके लिए प्रयास करना चाहिए। इनमें मेडिकल कॉलेज, आई हॉस्पीटल, एसएसबी, बॉयज हॉस्टल, गर्ल्स हॉस्टल, स्विमिंग पूल, चिकित्सकों के क्वाटर्स इत्यादि शामिल हैं। इनकी सीवर लाइनों को भी एसटीपी से जोड़ने की जरूरत है।
सीवर जाम की समस्या

पीबीएम अस्पताल परिसर में आए दिन सीवर जाम की समस्या बनी रहती है। इससे वार्डों के शौचालयों, सड़कों पर गंदा पानी एकत्र होता रहता है। एसटीपी बनने व नई लाइनें डालने से सीवर जाम की समस्या से निजात मिल सकेगी। पीबीएम परिसर में बारिश के दौरान भी जलभराव की स्थिति बनी रहती है। मरीज व उनके रिश्तेदार तथा यहां आने वाले लोग परेशान होते रहते हैं।
पौने पांच किमी सीवर की लंबाई

पीबीएम परिसर के वार्डों-इमारतों और कॉटेज वार्डों के शौचालयों से निकलने वाले गंदे पानी को एसटीपी तक पहुंचाने के लिए 4 किमी 755 मीटर लंबाई की सीवर लाइनें डाली गई हैं। ट्रैंसलेस पद्धति से लाइनें डालने का काम किया गया है। आरयूआईडीपी के कनिष्ठ अभियंता सुरेन्द्र कुमार चौधरी के अनुसार सीवर लाइनों का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। 25 मीटर लाइन बाकी है। एसटीपी में मशीनरी स्टॉलेशन का काम चल रहा है। 15 मई के बाद इस एसटीपी का ट्रायल रन प्रारंभ होने की संभावना है। राजस्थान मेडिकल बोर्ड व राजस्थान पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से इस एसटीपी का निर्माण करवाया जा रहा है।

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