अहमदाबाद. रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने यह दावा किया है रफाल डील विवाद को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। हालांकि उन्हें इस बात का डर है कि इस मुद्दे पर जिस तरह से कांग्रेस की ओर से आधा सच और बेसिर पैर की दलीलें दी जा रही है उससे सशस्त्र सेनाओं के परिचालन तैयारियों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। इसलिए केन्द्र सरकार की छवि पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा है। इसके उलट सरकार सशस्त्र सेनाओंं के परिचालन तैयारी और स्कवाड्रन क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है।
सोमवार को भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) में संवाददाता सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने रफाल डील को लेकर किसी भी कंपनी के नाम का सुझाव नहीं दिया।
सोमवार को भारतीय प्रबंध संस्थान-अहमदाबाद (आईआईएम-ए) में संवाददाता सम्मेलन में रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत ने रफाल डील को लेकर किसी भी कंपनी के नाम का सुझाव नहीं दिया।
18 की जगह 36 तैयार स्थिति वाले रफाल की डील हुई कांग्रेस के 126 रफाल से 36 रफाल करने के कारणों व आरोपों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जब यूपीए के शासन काल के दौरान वायु सेना का स्कवाड्रन 42 से 33 कर दिया गया तब अत्यावश्यकता के लिए तैयार स्थिति (फ्लाई अवे कंडीशन) वाले विमान की जरूरत होती है। ऐसी स्थिति में विमान जल्द लाना होता है।
रक्षा मंत्री के अनुसार यूपीए शासन के दौरान 18 रफाल तैयार स्थिति (फ्लाई अवे कंडीशन) में दिए जाने थे और शेष विमान पांच वर्षों में बनना था। यूपीए की सत्ता के दौरान रफाल का एचएएल के साथ कई तरह की बातें होने के कारण किसी तरह का समझौता नहीं हो सका।
रक्षा मंत्री के अनुसार यूपीए शासन के दौरान 18 रफाल तैयार स्थिति (फ्लाई अवे कंडीशन) में दिए जाने थे और शेष विमान पांच वर्षों में बनना था। यूपीए की सत्ता के दौरान रफाल का एचएएल के साथ कई तरह की बातें होने के कारण किसी तरह का समझौता नहीं हो सका।
सीतारमण के मुताबिक अब समझौते के मुताबिक केन्द्र सरकार यूपीए के 18 रफाल विमान की जगह उससे दुगना 36 रफाल विमान मंगा रही है। कुछ तैयार स्थिति वाले रफाल की डिलीवरी सितम्बर 2019 से आरंभ हो जाएगी। यह 36 यूपीए के 18 के बराबर है क्योंकि यह तैयार स्थिति में है। इसलिए जरूरत को देखते हुए तैयार स्थिति वाले रफाल की संख्या दुगनी की गई।