राजस्थान में चित्तौडगढ़़ जिले के रावतभाटा निवासी भगवतीलाल शर्मा की पुत्री जन्म से ही कमजोर थी। कुछ वर्षों के बाद यह बालिका ठीक तरह से चल नहीं सकती थी तो उसे आसपास के अस्पतालों में ले जाकर दिखाया गया। चिकित्सकों ने बालिका की रीढ़ की हड्डी की समस्या बताई थी। भगवतीलाल ने बताया कि बालिका की रीढ़ की हड्डी की गंभीर समस्या के चलते सभी परिजन काफी चिंता में थे। पिछले कुछ महीनों से इस बालिका के पैर काम ही नहीं कर पा रहे थे । लगभग 13 वर्ष की हो चुकी इस बालिका को किसी के कहने पर अहमदाबाद स्थित सिविल अस्पताल में उपचार के लिए लाया गया। अस्पताल कैंपस में सरकारी स्पाइन इंस्टीट्यूट में बालिका की सभी तरह की जांच की गई तो पता चला कि रीढ़ की हड्डी के तीन खंड (मणके) आपस में चिपके हुए हैं। जिसके कारण स्पाइनल कोर्ड पर प्रेशर आने के कारण बालिका के पैरों में हलन चलन प्रभावित होने लगी थी। पिछले दिनों इस बालिका का जटिल ऑपरेशन किया गया। जिसके बाद बालिका ठीक हो गई।
जटिल ऑपरेशन के बाद बालिका की हालत में सुधार स्पाइन इंस्टीट्यूट के निदेशक डॉ. पियूष मित्तल ने बताया कि बालिका की रीढ़ की हड्डी के तीन खंड एक ही जगह पर आ गए थे। जिससे ऑपरेशन करना ही उचित विकल्प था। रीढ़ की हड्डी को सीधा कर उसमें स्क्रू लगाए गए। इससे स्पाइनल कोर्ड पर जो दबाव था वह हट गया है। अब यह बालिका पूरी तरह से चल सकती है। आमतौर पर इस तरह के ऑपरेशन का खर्च निजी अस्पतालों में तीन से चार लाख रुपए भी हो सकता है।हालांकि गुजरात के सरकारी इस संस्थान में यह निशुल्क किया गया है।