खुले मंदिरजी के कपाट, आदिनाथ के दर्शन पाकर धन्य हुए दर्शनार्थी
Published: May 14, 2022 12:56:44 am
महोत्सव का समापन: आचार्यश्री, साध्वी भगवंतों, श्रमण-श्रमणियों ने किया सांवेर में विहार
खुले मंदिरजी के कपाट, आदिनाथ के दर्शन पाकर धन्य हुए दर्शनार्थी
सांवेर. शुक्रवार को सूर्योदय का समय.. नवीन जिनालय के द्वार के आगे आचार्यश्री जितरत्सागरजी के साथ कुछ जैन श्रावक-श्राविकाएं खड़े हैं। सभी एक दिन पहले मंदिरजी में विराजित दादा आदिनाथ के दर्शन को आतुर थे। मंदिरजी के द्वार का उद्घाटन करने के लाभार्थी हाथी पर सवार होकर आता है। आचार्यश्री मंत्रोच्चार प्रारंभ करते हैं। दिव्यघोष और दादा आदिनाथ के जयकारों के बीच मंदिर के कपाट लाभार्थी राहुलकुमार, प्रदीपकुमार सुराणा परिजनों के साथ खोलते हैं और नित्य दर्शनार्थियों के लिए मंदिरजी में प्रवेश प्रारंभ होने की अंजनश्लाका प्रतिष्ठा अंतिम कड़ी भी पूर्ण होती है। शुक्रवार को प्रात: 6 बजे नवीन जिनालय के द्वारोघाटन की उक्त विधि पूर्ण होने के साथ ही सांवेर नगर में आचार्य जितरत्नसागर के निर्देशन और आचार्य चंद्ररत्नसागर महाराज के मार्गदर्शन में जैन श्वेतांबर सकल श्रीसंघ द्वारा गत 6 मई से आयोजित आठ दिवसीय अंजनश्लाका प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन भी हो गया। द्वार उद्घाटन के लाभार्थी राहुल सुराणा परिवार रहे। कपाट खुलने के बाद लाभार्थी परिवार की अनिता सुराणा द्वारा मंदिरजी को बुहारा गया। आचार्यश्री ने भगवान का प्रक्षालन करवाया फिर मांगलिक सुनाई गई। अब मंदिर पूर्ववत नित्य दर्शनार्थियों के दर्शनाथ, आरती, पूजा के लिए खुल गया है। गुरुवार को मंदिरजी पर चढ़ाई गई ध्वजा के लाभार्थी विजयलक्ष्मी नेताजी परिवार के संजय जैन और कलश के लाभार्थी विनय जैन थे। शुक्रवार था इसलिए मंदिर में ही विराजित माता पद्मावती की विशेष साप्ताहिक आरती मोहन जैन की ओर से की गई।
प्रात: साधर्मिक नवकारसी लाभार्थी मनीष कोठारी परिवार की ओर से हुई। इसके बाद उपाश्रय में श्रीसंघ की ओर से आचार्यश्री के निर्देश और उन्ही की निश्रा में स्थानीय अधिकारियों तथा उन लोगों के बहुमान का कार्यक्रम रखा गया, जिनका इस सफलतम भव्य आयोजन में किसी न किसी रूप में योगदान रहा। एसडीएम रविश श्रीवास्तव और एसडीओपी पंकज दीक्षित अपरिहार्य कारणों से उपस्थित नहीं हो सके। अलबत्ता तहसीलदार तपिश पांडे, थाना प्रभारी मोहन मालवीय, नप सीएमओ चुन्नीलाल जूनवाल आदि का बहुमान श्रीसंघ के विजय कोठारी, दिनेश कटारिया, धर्मेंद्र कटारिया, नवरत्न परिवार के चेतन जैन, मुकेश जैन, कुड़ाना से हुकमचंद, महेंद्र जैन ने मोहन जैन, नेमीचंद उस्ताद कटारिया, अतुल कोठारी, पंकज जैन, राजेश जैन, विपिन जैन आदि की उपस्थिति में किया गया।
आचार्यश्री का विहार, दी भावभीनी बिदाई
सांवेर में सवा करोड़ की लागत से श्वेत संगमरमरी नवीन जिनालय और उपाश्रय का निर्माण करवाने के बाद उसकी गौरवशाली प्रतिष्ठा का भव्य अंजनश्लाका महोत्सव अपनी देखरेख में संपन्न कराने हेतु एक महीने से अधिक समय से नगर में ही विराजित रहे। आचार्य जितरत्नसागरजी ने महोत्सव को भव्यता के साथ सानंद और धूमधाम से संपन्न कराने के बाद शुक्रवार को संध्याकाल में सांवेर से विहार कर लिया। उन्हें नगरवासियों ने भावभीनी बिदाई दी। चंद्ररत्नसागरजी ने शुक्रवार को प्रात:काल में ही नगर से मंगल विहार कर लिया था। अंजनश्लाका जैसा कोई भी बड़ा कार्य संपन्न होने के बाद आयोजन में सम्मिलत होने वाले सभी आचार्य, मुनिजन और साध्वी भगवंत को नगर से तत्काल विहार करने का नियम बताया गया है इसलिए साध्वी सूर्यकांता श्रीजी, साध्वी सौम्यवंदना श्रीजी, साध्वी राजिता श्रीजी, निर्मिता श्रीजी, अर्हमव्रता श्रीजी और अन्य श्रमण-श्रमणियों ने भी विहार कर लिया।