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अर्जुन से बुझती थी सागर की प्यास, पहाड़ी से बहता था पानी, आज वहां उड़ती है धूल

– बढ़ रहा शहर का तापमान,पेड़ों पर ही चल रही कुल्हाड़ी, 50 वर्षों में कंक्रीट का जंगल बन गया सागर – शहर में 20 हजार से ज्यादा पेड़ों की हुई कटाई, अब पचास के पास पहुंच रहा पारा पर्यावरण दिवस पर विशेष सागर. अर्जुन ( नदीसर्ज ) और चंदन के पेड़ों से 50 वर्ष पहले […]

सागरJun 05, 2024 / 07:39 pm

प्रवेंद्र तोमर

– बढ़ रहा शहर का तापमान,पेड़ों पर ही चल रही कुल्हाड़ी, 50 वर्षों में कंक्रीट का जंगल बन गया सागर

– शहर में 20 हजार से ज्यादा पेड़ों की हुई कटाई, अब पचास के पास पहुंच रहा पारा
पर्यावरण दिवस पर विशेष

सागर. अर्जुन ( नदीसर्ज ) और चंदन के पेड़ों से 50 वर्ष पहले सागर घिरा हुआ था। शहर के चारों ओर हरियाली थी। 50 वर्षों में सड़कों के चौड़ीकरण और बड़ी-बड़ी बिल्डिंग, विकास के नाम पर 20 हजार से ज्यादा पेड़ों पर कुल्हाड़ी चला दी गई। हजारों पेड़ों की कटाई से अब सागर कंक्रीट का जंगल बन गया है। विश्वविद्यालय की पहाड़ी पर घना जंगल था। जिसका क्षेत्रफल 2200 एकड़ था, जो अब 1400 एकड़ रह गया। 800 एकड़ का जंगल धीरे-धीरे गायब हो गया। वहीं तिली, पथरिया जाट, सिविल लाइन और तहसीली इलाका पेड़ों से घिरा हुआ था, जहां अब बड़ी-बड़ी बिल्डिंग का निर्माण हो गया है।
विश्वविद्यालय में बॉटनी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. अजय शंकर मिश्रा ने बताया कि वर्ष 1969 में उन्होंने विवि में दाखिला लिया था। उसके बाद 46 वर्षों तक बॉटनी विभाग में नौकरी की। उन्होंने कहा कि 50 वर्ष पहले सागर में 30 फीसदी हरियाली थी। अब घटकर 8 फीसदी रह गई है। उन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा कटाई पानी का स्त्रोत बताने वाले अर्जुन का पेड़ की हुई है। उसके साथ विवि की पहाडी़ से हजारों चंदन के पेड़ कट गए। चंदन के पेड़ों का इस्तेमाल लोगों ने अपने घरों में फर्नीचर बनाने में कर लिया। वर्षों से पेड़ों की सुरक्षा हो रही है, लेकिन पेड़ लगातार कटते जा रहे हैं। हर वर्ष विवि की पहाड़ी से हजारों चंदन के पेड़ चोरी हो रहे हैं।
पानी का स्रोत बताता है अर्जुन का पेड़

प्रो. मिश्रा ने बताया कि अर्जुन का पेड़ पानी का स्त्रोत बताते हैं। जहां नादी, तालाब आदि कोई पानी का स्त्रोत होता है वहां अर्जुन के पेड़ रहते हैं। उन्होंने बताया कि इन पेड़ों की खासियत यह है कि यह चमकीले और आसानी से पहचान वाले होते हैं। अर्जुन के पेड़ की छाल दिल की बीमारी को ठीक करने में सबसे ज्यादा उपयोगी है। देशभर में इन पेड़ों की छाल की मांग है और सागर में लगातार इन पेड़ो की कटाई की जा रही है। विवि की पहाडी़ से हजारों वृक्षों की कटाई करने के बाद अब मकरोनिया रोड पर लगे अर्जुन के पेड़ों की कटाई कर दी गई। वर्षों पुराने पेड़ों को शिफ्ट किया जा सकता था, लेकिन ये पेड़ शिफ्ट नहीं किए गए। जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ है।
विवि की पहाड़ी से होती थी पानी की सप्लाई

शहर की जनता के लिए पहले पेय जल की सप्लाई विश्वविद्यालय की पहाड़ी बने वाटर वर्क्स से होती थी। पहाडी़ वाटर वर्क्स होने की वजह से पानी आसानी से घरों में पहुंच जाता था। शहर की जनसंख्या कम थी। यहां से पानी की सप्लाई होने से ही पहाडी़ पर अर्जुन के वृक्ष थे। उन्होंने बताया कि राजघाट परियोजना से पेयजल की सप्लाई हो रही है। लाखों घरों में पानी पहुंचाने के लिए बिजली की खपत बड़ी मात्रा में हो रही है। इससे कार्बन का उत्सर्जन हो रहा है और इससे पर्यावरण प्रदूषण भी हो रहा है।

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