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नृत्य शैलियों की भाव भंगिमाओं से बताए अद्वैत के सिद्धांत

आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास

भोपालNov 07, 2024 / 12:58 am

Mahendra Pratap

भोपाल. आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, मप्र पर्यटन निगम और भारत भवन न्यास, संस्कृति विभाग की ओर से भारत भवन में चल रही तीन दिवसीय कार्यशाला का समापन हुआ। इस मौके पर नृत्य में अद्वैत विषय पर दिन भर अलग-अलग सत्र हुए। इसमें नृत्य की शैलियों और भावों के जरिए विद्वानों ने अद्वैत के सिद्धांतों पर रोचक जानकारी दी। इस दौरान अनेक वक्ताओं ने अपने विचार रखे। इस मौके पर मणिपुरी नृत्य की आकर्षक प्रस्तुति से मौजूद दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए।बुधवार को कार्यशाला में नृत्य कला एवं अद्वैतानुभूति विषय पर अपने विचार रखते हुए कहा नाट्यशास्त्र के अध्येता डॉ राधावल्लभ त्रिपाठी ने कहा जब हम कला की साधना करते हैं तो नायक, कवि और श्रोता इन तीनों का अनुभव एक ही होता है। काव्य आत्मा की कलात्मक अनुभूति है तो रस नृत्य की रसात्मक अनुभूति। वेद, उपनिषद जिस रस की चर्चा करते हैं, वह आनंद ही है। उन्होंने कहा कि नृत्य मनोरंजन मात्र नहीं है, पुरुषार्थ में उसकी परिणति होना चाहिए। इस मौके पर वरिष्ठ नृत्य कलाकार डॉ प्रेमचंद होम्बल ने कहां कि बिना भाव के न तो नाट्य है और न ही नृत्य है। भाव से हमें अनुभूति होती है जिससे हम रस तक पहुंचते हैं। इस रस तक पहुंचने का माध्यम नृत्य और नाट्य है।कलात्मक क्रियाएं ईश्वर से ही मिलती है और उन्हें ही समर्पित होती है
इस मौके पर चिन्मय मिशन कोयंबटूर की प्रमुख स्वामिनी विमलानंद सरस्वती ने कहा कि हम आज जो कुछ है, जो कर रहे हैं, वह हमारे पूर्व जन्मों के कर्मों का फल है। जीवन का अंतिम लक्ष्य नित्य आनंद की प्राप्ति है। उन्होंने कहा कि हमारे यहां कला में नृत्य की अभिव्यक्ति सदैव दिव्य मानी गई है। नर्तन करना ईश्वर का स्वभाव है। हमारी सभी कलात्मक क्रियाएं ईश्वर से ही आती हैं और उन्हें ही समर्पित होती हैं।
अगले साल 20 अद्वैत जागरण युवा शिविर होंगेइस मौके पर आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास की ओर से 2025 में होने वाले युवा शिविर कैलेंडर का विमोचन किया गया। न्यास की ओर से 18 से 40 वर्ष के युवाओं के लिए देश के विभिन्न आश्रमों, संस्थानों में 20 अद्वैत युवा शिविर के आयोजन होंगे।नृत्य और भक्ति गीतों की प्रस्तुति से भाव विभोर हुए दर्शक
कार्यशाला का समापन शाम को हुआ। इस मौके पर संस्कृति विभाग और न्यास के सचिव शिव शेखर शुक्ला भी शामिल हुए। इस मौके पर उन्होंने न्यास की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि न्यास का मूल उद्देश्य अद्वैत वेदांत दर्शन का लोक व्यापीकरण है, जिससे पूरे विश्व में शांति, मैत्री, सद्भाव जैसे लक्ष्यों की प्राप्ति हो। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष भी कार्यशाला आयोजित की जाएगी। समापन सत्र में स्वामिनी विमलानंद सरस्वती, पद्मविभूषण डॉ पद्मा सुब्रमण्यम, कुमकुमधर, प्रो यज्ञनेश्वर शास्त्री सहित बड़ी संख्या में शोधार्थी शामिल हुए। इस मौके पर आचार्य शंकर के विवेक चूड़ामणि पर केंद्रित नृत्य एवं हर्षल पुलेकर ने भक्ति गीतों की प्रस्तुति दी, जिससे मौजूद दर्शक भाव विभोर हो गए।

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