इंदौर

जल संकट गहराया, टैंकर दौड़े

शहर में पानी की किल्लत टैंकर आंकड़ा पहुंचा 300पिछले वर्ष की तुलना में इस बार दोगुना दौड़ रहेबढ़ती गर्मी से करीब 400 बोरवेल सूखे

इंदौरMay 05, 2022 / 11:39 am

Lokendra Chouhan

जल संकट गहराया, टैंकर दौड़े

इंदौर. भीषण गर्मी के चलते शहर में पानी की किल्लत लगातार बढ़ती जा रही है। बोरवेल सूखने के साथ पानी कम होता जा रहा है। ऐसे में नगर निगम डिमांड बढऩे पर जलापूर्ति करने में लगा है, लेकिन पूरी तरह कर नहीं पा रहा। प्राइवेट व सरकारी मिलाकर 300 टैंकर शहर में दौड़ रहे हैं, ये आंकड़ा पिछले वर्ष से दोगुना हैं। अभी यह आंकड़ा और बढ़ेगा, क्योंकि शहर में जलसंकट गहराता जा रहा है।

नर्मदा पानी के तीन चरण आ गए हैं। अब चौथे चरण का पानी लाने की तैयारी है। इस वर्ष के निगम बजट में चौथे चरण को लेकर राशि का प्रावधान किया गया है, जबकि नर्मदा का तीसरा चरण आने के बाद निगम जलप्रदाय विभाग के अफसरों ने दावा किया था कि शहर में न तो पानी की कमी होगी और न ही ठेके पर टैंकर चलाने की जरूरत पड़ेगी। यह दावा फेल हो गया। हर वर्ष गर्मी में ठेके पर टैंकर लगाकर जलापूर्ति करना पड़ती है, वहीं शहर की प्यास बुझाने के लिए नर्मदा का चौथा चरण भी लाना पड़ रहा है। इस वर्ष भी गर्मी में जलसंकट से निपटने के लिए प्राइवेट टैंकर लगाए जा रहे हैं। इनका आंकड़ा 207 है, जो पिछले वर्ष से 67 ज्यादा है। इन प्राइवेट टैंकरों के साथ निगम के 82 टैंकर भी चल रहे हैं। इस तरह कुल 300 टैंकर शहर में पानी की किल्लत दूर करने के लिए दौड़ रहे हैं। इसके बावजूद लोगों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा है।

पूर्व पार्षदों के कब्जे में
सबसे ज्यादा जलसंकट वहां है, जहां नर्मदा लाइन नहीं है और लोग बोरवेल के भरोसे रहते हैं। इतना ही नहीं, कई वार्डों में टैंकर पर पूर्व पार्षदों का कब्जा है, जिनके हिसाब से पानी बंटता है और आमजन पानी का इंतजार ही करते रह जाते हैं। ऐसे में निगम की टैंकर से जलापूर्ति व्यवस्था पर सवालिया निशान लग रहे हैं और जिम्मेदार अफसरों की कार्यशैली पर उंगलियां उठ रही हैं।

इन कामों के लिए भी लगाए टैंकर
निगम वर्कशॉप विभाग ने गर्मी में लोगों को पानी देने के लिए जहां निजी टैंकर लगाए हैं, वहीं सार्वजनिक बगीचों में पौधों को पानी देने, शौचालय-मूत्रालयों की धुलाई करने और फायर फाइटिंग को लेकर भी प्राइवेट टैंकर लगाए हैं।

2000 स्थानों पर हो गया पानी कम
नर्मदा के तीनों चरण मिलाकर प्रतिदिन शहर में 540 एमएलडी पानी आता है। इसके बावजूद शहर में लोगों को एक दिन छोड़कर पानी सप्लाय होता है। कई कॉलोनी-मोहल्ले ऐसे हैं, जहां पूरी तरह से जलापूर्ति नहीं हो पाती और नलों में गंदा पानी आता है। भीषण गर्मी के चलते हालात खराब होते जा रहे हैं, बोरवेल सूखने लगे हैं। सार्वजनिक और प्राइवेट मिलाकर 400 के आसपास बोरवेल बंद हो गए हैं। 2000 बोरवेल में पानी कम हो गया है। ऐसे में लोगों को परेशानी झेलनी पड़ रही है। जलापूर्ति के लिए प्राइवेट टैंकर ठेके पर लगाए, फिर भी किल्लत बनी हुई है। जलसंकट से निपटने के लिए बड़ी संख्या में टैंकर लगाने के बावजूद इनकी मारामारी है।

पिछली बार लगे थे 140 टैंकर
पिछले वर्ष गर्मी में कोरोना संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से ठेके पर टैंकर कम लगे थे। जलप्रदाय विभाग के कार्यपालन यंत्री संजीव श्रीवास्तव का कहना है कि निगम ने पिछली गर्मी में अपने 82 टैंकर लगाने के साथ 140 टैंकर ठेके पर लेकर जलापूर्ति की थी। इस बार अब तक 207 प्राइवेट टैंकर लग गए हैं। आगे 50 से 60 टैंकर और लगाए जाएंगे। दरअसल, लॉकडाउन से पहले गर्मी में ठेके पर चलने वाले टैंकरों की संख्या 450 के आसपास पहुंच जाती थी और खर्चा 8 करोड़ रुपए के करीब होता था। लॉकडाउन की वजह से प्राइवेट टैंकर की संख्या कम हो गई, जो इस बार भीषण गर्मी की वजह से बढ़ गई है।
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