नेशनल सेफ्टी डे का उद्देश्य
प्रत्येक कार्यक्रम का प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष संबंध देश की सुरक्षा व्यवस्था से रहता है। नेशनल सेफ्टी सप्ताह के दौरान देशभर में कई तरह के जागरुकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। जिससे लोगों को औद्योगिक दुर्घटनाओं से बचाव के तरीकों के प्रति जागरुक किया जा सके। इसे मनाने का श्रेय मुख्य रूप से हमारी सुरक्षा एजेंसियों एवं उन सैनिकों को जाता है, जो देश की सीमाओं पर सुरक्षा में तैनात हजारों सिपाहियों और सिक्योरिटी विभाग के साथ-साथ देश के भीतर होने वाली दैवीय आपदा एवं आतंकवाद के निर्मूलन स्वरूप अपनी जान की बाजी लगाने से नहीं चूकते।
यह भी पढ़े :— दुनिया का सबसे अमीर एथलीट: सोने के कप में पीते है ड्रिंक, दोस्तों पर खर्च करते है अरबों रुपए
नेशनल सेफ्टी डे का इतिहास
राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस की शुरुआत नेशनल सेफ्टी काउंसिल द्वारा 4 मार्च 1966 को किया गया था। शुरु में इस दिन को ‘नेशनल सेफ्टी डे’ के रूप में मनाया जाता था। यह संस्थान गैर सरकारी और गैर लाभकारी संगठन के रूप में कार्य करता है। इस संगठन की नींव साल 1966 में रखी गई थी। तब इसमें तकरीबन 8000 से अधिक कार्यकर्ता थे। बाद में इसकी अहमियत को देखते हुए 1972 में इसी संगठन ने सम्पूर्ण देश में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस मनाने का फैसला किया गया। इसके बाद केंद्र सरकार ने इसे साप्ताहिक दिवस बनाते हुए इसकी अवधि बढ़ाकर 7 दिन (4 मार्च से 10 मार्च तक) कर दिया। इसी दिन को नेशनल सेफ्टी डे के रूप में मनाया जा रहा है।
नेशनल सेफ्टी डे की थीम
राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह के दौरान देशभर में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। प्रतियोगिता, सेमिनार, सिक्यूरिटी मैसेज के पोस्टर्स, स्लोगन, निबंध प्रतियोगिता, बैनर प्रतियोगिता, लघु नाटक, गीत-संगीत तथा खेल प्रतियोगिता, विभिन्न कार्यशालाए और प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों को सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के मुद्दों पर जागरूक किया जाता है। आपको बता दें कि हर साल इसे अलग थीम के साथ मनाया जाता है। साल 2020 में राष्ट्रीय सुरक्षा दिवस की थीम ‘सुरक्षाकर्मियों को सलाम’, 2019 में ‘औद्योगिक संस्थानों की सुरक्षा’, 2018 में ‘सुरक्षा हमारी प्राथमिकता नहीं है, यह हमारा मूल्य है’, 2017 में एक दूसरे को सुरक्षित रखें’, 2016 ‘ऐसा सुरक्षा आंदोलन जिसमें लोगों को कोई नुकसान न हो’ थी।