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आगरा

मुस्लिम महिलाएं बोलीं, ‘कानून में दखल न दें मोदी’

मुस्लिम महिलाओं ने पैदल ​मार्च निकालकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया।

आगराOct 28, 2016 / 07:05 pm

अभिषेक सक्सेना

triple talak

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आगरा। तीन तलाक और कॉमन सिविल कोड के मुद्दे पर छिड़ी बहस तेज हो गई है। आगरा की मुस्लिम महिलाओं ने केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दायर किए गए हलफनामे पर विरोध प्रदर्शन किया है। महिलाओं ने पीएम मोदी से हलफनाम वापस लेने की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में केंद्र सरकार की दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुस्लिम महिलाओं ने पैदल ​मार्च निकालकर कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन किया। 

पैदल मार्च निकाला
सर्व दलीय मुस्लिम एक्शन कमेटी और उत्तर प्रदेश मुस्लिम महापंचायत के बैनर तले शुक्रवार को मुस्लिम महिलाओं ने तीन तलाक पर केंद्र सरकार पर हमला बोला। कलेक्ट्रेट तक निकाले गए पैदल मार्च में महिलाएं हाथों मे तख्तियां लेकर चल रही थीं, जिन पर मुस्लिम कानून में दखल न देने की चेतावनी स्पष्ट लिखी थी। इस दौरान महिलाओं ने कलेक्ट्रेट पर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। पैदल मार्च जुमे की नमाज के बाद शुरू हुआ। मंटोला आदि क्षेत्रों से शुरू होकर कलेक्ट्रेट पर खत्म हुआ। यहां प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन सौंपा गया। 

बर्दाश्त नहीं दखल
महिलाओं का कहना है कि देश का मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है। मुसलमान देश के लिए बफादार नागरिक हैं। मुस्लिम कानून बहुत अजीज है और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में केंद्र सरकार किसी भी प्रकार का दखल न दे। ये बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महिलाओं ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि आरएसएस के छिपे मुस्लिम विरोधी ऐजेंड को लागू ​करने की कोशिश की जा रही है। जिसे मुसलमान कामयाब नहीं होने देंगे।

धार्मिक कामों में सरकार दखलअंदाजी न करें।
राष्ट्रीय अध्यक्ष भारतीय मुस्लिम विकास परिषद के समी आगाई ने कहा कि तीन तलाक का तो बहाना है। देश के अंदर यूनीफॉर्म सिविल कोड लागू करना चाहती है, तो तीन तलाक की आड़ क्यों ले रही है सरकार। ये कानून पहले से ही लागू है। मुसलमान चाहते हैं कि धार्मिक कामों में सरकार दखलअंदाजी न करें। इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

ये रहे मौजूद
कार्यक्रम का नेतृत्व धर्म प्रचारक आलिमा हज्जन रजिया ने किया। इस दौरान मुस्लिम महापंचायत के सरपंच मुहम्मद नदीम नूर, एमए काजमी, , अफरोज खां, नदीम, हाजी जमील उद्एदीन कुरैशी, आलिमा अनीस, सैययद मजहर अब्बास रिजवी, शबनम बानो, सुआलिया परवीन, फरजाना मेहदी, सायमा मुस्तफा, मुकरम, रजिया बेगम, कदीर उद्दीन, मुहम्मद इस्लाम, बसीम, जमा खान, सलीम समी आगाई, अदनान कुरैशी, बाबर कुरैशी, जावेद सिद्दकी, सलीम खां, जमील खान, हसन कुरैशी, काजमी, एहतराम जाफरी, मुवीन अब्बास, अफरोज खान सहित दर्जनों मुस्लिम महिलाएं मौजूद थीं। 






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