गणना में पैंथर नदारद ब्यावर और जवाजा क्षेत्र में कई बार पैंथर रिहायशी इलाकों में देखे गए हैं। इसके बावजूद वन विभाग को इन क्षेत्रों में पैंथर नजर नहीं आया। विभाग की गणना में पैंथर नहीं होना बताया गया है। पिछले दिनों अजमेर के तारागढ़-हैप्पी वैली क्षेत्र में भी पैंथर नजर आ चुका है।
दो साल से नहीं मिले गोडावण जिले के शोकलिया क्षेत्र के 43 गांवों के 526.83 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में गोडावण पाए जाते रहे हैं। यह गांव विश्व भर में गोडावण के लिए प्रसिद्ध था। अंधाधुंध खनन और पर्यावरण में बदलाव के चलते क्षेत्र से धीरे-धीरे गोडावण लुप्त हो गए। खान में ब्लास्टिंग के चलते गोडावण की प्रजनन क्षमता प्रभावित हुई है। वन्य जीव गणना के तहत जिले में वर्ष 2001 में 33, 2002 में 52, 2004 में 35, 2005 में 8, 2009 में 4, 2011 में 4, 2012 में 2, 2013 में 2 गोडावण पाए गए थे, जबकि 2014 और 2015 में एक भी गोडावण नहीं मिला।
गायब हुए शेर, चीते और गोडावण आजादी से पूर्व तक जिले के अजयसर, पुष्कर, नाग पहाड़ क्षेत्र में शेर, चीते भी पाए जाते थे। अंधाधुंध शिकार और वन्य क्षेत्र घटने से शेर और चीते लुप्त हो गए। राज्य पक्षी गोडावण की भी यही स्थिति हुई, जबकि वन्य जीव अधिनियम 1972 की धारा 37 के तहत जिला के शोकलिया क्षेत्र में गोडावण के शिकार पर पाबंदी लगाई गई है।
इनकी होगी गणनावन विभाग जिले में वन्य जीवों की गणना करेगा। इनमें खरगोश, सियार, नेवले, अजगर, बिज्जू, पैंथर, हिरण, चीतल और अन्य वन्य जीव शामिल होंगे।
जिले में पूर्णिमा पर वन्य जीवों की गणना होगी। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
जिले में पूर्णिमा पर वन्य जीवों की गणना होगी। इसकी तैयारियां शुरू कर दी गई हैं।
किशोर गुप्ता, एसीएफ वन विभाग