संस्कृत विवि के पास ना भवन,ना संसाधन
राज्य का पहला संस्कृत विद्यालय आज भी बुनियादी सुविधाओं की प्रतीक्षा कर रहा है। साल 2010 में विवि की


बेंगलूरु।राज्य का पहला संस्कृत विद्यालय आज भी बुनियादी सुविधाओं की प्रतीक्षा कर रहा है। साल 2010 में विवि की स्थापना होने के बाद से अब तक विवि परिसर और खुद का भवन नहीं बन सका है। आज भी इसका संचालन चामराजपेट स्थित जयचामराजेंद्र संस्कृत शाला के परिसर से हो रहा है।
राज्य सरकार ने विवि के लिए रामनगर जिले की मागड़ी तहसील में केंपयनपाल्या गांव के पास सौ एकड़ जमीन आवंटित की है लेकिन अभी तक इमारत नहीं बनाई गई है। विवि का अपना भवन और कैंपस नहीं है। विवि के दीक्षांत समारोह भी किराए के सभागारों में होते रहे हैं।
राज्यपाल ने जताई थी नाराजगी
विवि के दूसरे दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि तत्कालीन राज्यपाल हंसराज भारद्वाज ने विवि के पास बुनियादी सुविधाएं नहीं होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए तेजी से सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद हालात यथावत हैं।
तदर्थ व्यवस्था से चल रहा काम
राज्य के विभिन्न जिलों के 21 संस्कृत कॉलेज तथा 354 अनुदानित वेद तथा संस्कृत पाठशालाओं को संस्कृत विवि के साथ संलग्न हैं। विवि में तर्कशास्त्र, न्यायशास्त्र ज्योतिष, नृत्य, शिल्पकला काव्य और चित्रकला संकायों में शिक्षा दी जा रही है। फिलहाल अस्थायी तौर पर शिक्षक, संशोधन, प्रकाशन तथा प्रशासनिक विंग स्थापित किए गए है।
कुलपति प्रो. पद्मा शेखर के अनुसार कई संकायों के लिए अलग भवन नहीं होने से इन्हें किराए के भवनों में चलाया जा रहा है।
मागड़ी तहसील में विवि के लिए चिह्नित 100 एकड़ जमीन पर विवि के आवश्यकताओं के अनुसार भवनों के निर्माण की योजना तैयार की जा रही है।
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