नए दौर में रहन-सहन और खान-पान से विटामिन डी की कमी से हर कोई जूझ रहा है। लोग मशीनी युग में जी रहे हैं। वातानुकूलित दफ्तरों में ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं।
नए दौर में रहन-सहन और खान-पान से विटामिन डी की कमी से हर कोई जूझ रहा है। लोग मशीनी युग में जी रहे हैं। वातानुकूलित दफ्तरों में ज्यादा से ज्यादा समय बिताते हैं। इसलिए धूप के संपर्क में नहीं आने से लोगों को यह समस्या ज्यादा देखने में आ रही है।
आइए जानते हैं भोपाल के डाक्टर प्रवीण रंगारी से विटामिन डी की पूर्ति करने के कई प्राकृतिक तरीके…।
जरूरी है पंद्रह मिनट की धूप
आज लोग सूर्य की किरणों के संपर्क में नहीं आ पाते हैं। घर से कारों में बैठकर दफ्तर के वातानुकूलित कमरे में बैठ जाते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद दफ्तर से निकलकर घर में दुबक जाते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि एक सप्ताह में तीन बार पंद्रह मिनट तक धूप में अपने शरीर को ले जाना जरूरी होता है। इसी से विटामिन डी शरीर को मिलता है।
बच्चों को रिकेट्स का खतरा
चिकित्सकों के मुताबिक विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स अथवा सूखा रोग और बड़ों में ऑस्टीओपरोसिस होने का खतरा ज्यादा होता है। विटामिन डी ऐसा विटामिन होता है जो शरीर को कैल्सियम सोखने की क्षमता देता है। इसलिए मानव शरीर को विटामिन डी लेने के लिए इन खाद पदार्थों का सहारना लेना जरूरी होता है…।
प्राकृतिक चीजों से बढ़ाएं विटामिन D
जिस व्यक्ति के शरीर में विटामिन डी की कमी है, उसे कैल्शियम की दवा का सहारा नहीं लेना चाहिए, सिर्फ प्राकृतिक खाद्य पदार्थों का ही सेवन करना चाहिए।
फार्टफाइड फूड्स है जरूरी
फूड प्रोसेसिंग के वक्त जिसके शरीर से विटामिन्स और मिनरल खत्म हो जाते हैं, उसकी कमी फार्टफाइड फूड्स पूरा करते हैं। यह खाद्य की पौष्टिकता को भी बढ़ा देते हैं। विटामिन डी से भरपूर फार्टफाइड फूड्स हैं -ब्रेड, सेरल, दूध,पनीर, चीज़, सोया मिल्क और संतरे का जूस।
मशरूम में है विटामिन डी
मशरूम में भी विटामिन डी प्रचुर मात्रा में होता है। जैसे वाइट बटन, वाइल्ड एडिबल और चैन्ट्रल। कैल्शियम और फास्फोरस को एब्जार्ब करने में मदद करता है। सबसे ज्यादा विटामिन डी मशरूम एंड कार्डलीवर आइल में होता है।
जरूरी है दूध का सेवन
दूध पीने वालों को कैल्शियम और विटामिन डी की पर्याप्त मात्रा मिल जाती है। इसलिए जरूरी है कि रोज एक ग्लास दूध का सेवन करना चाहिए। यह लोग दूध से बनी चीजें भी खा सकते हैं। जैसे- दही और चीज़। दही पौष्टिकता तो देता ही है, कैल्शियम को सोखने में भी मदद करता है।
अंडा और मीट से मिलता है प्रोटीन
अंडा और मीट भी विटामिन डी का अच्छा स्रोत माना गया है। इससे अन्य प्रोटीन्स भी मिलते हैं। इसके अलावा समय-समय पर किसी डायटिशियन से आपके शरीर के मुताबिक डाइट चार्ट बनवाया जाना चाहिए।
फिश है फायदेमंद
मछली विटामिन डी का सबसे अच्छा स्रोत माना गया है। जो लोग मांसाहारी होते हैं उनके लिए फिश विटामिन डी से मिल जाता है। कार्डलीवर आइल में भी काफी मात्रा में विटामिन डी पाया जाता है।
विटामिन डी के लिए यह है घरेलू उपचार
1. गर्मी के मौसम में एक दिन में बगैर सनस्क्रीन लगाए 15 मिनट धूप में रहें।
2. यदि आपके घर में सूर्य का प्रकाश नहीं आता है तो विटामिन D3 की पूर्ति करने वाला आहार लें।
3.40 वर्ष से अधिक उम्र वाली महिलाएं ओस्टियोपोरोसिस की शिकार हो सकती हैं, इसलिए इन्हें विटामिन डी से संबंधित आहार लेना चाहिए।
4. ठंड के महिनों में विटामिन डी का स्तर पर्याप्त विकसित होता रहता है। इसके लिए चलना, दौड़ना, नाचना, स्कीइंग करना आदि भी जरूरी है। वजन उठाना और पानी के तगड़े व्यायाम भी कर सकते हैं।
इन चीजों से रहें दूर
1. तले वसायुक्त भोजन, नमक, शक्कर और अन्य शक्करयुक्त उत्पादों से दूर रहें।
2. वसा से भरे हुए आहारों का सेवन कम कर दें
3. कैफीन का प्रयोग सीमित मात्रा में ही करें। क्योंकि कैफीन विटामिन डी के अवशोषण में अवरोध उत्पन्न करता है।
तिरछे हो जाते हैं बच्चों की हड्डियां
बच्चों में विटामीन डी की कमी से हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। इससे बच्चों के पैर तिरछे होने की संभावना हो जाती है। इसके साथ ही जल्द फैक्चर होना और फ्रैक्चर होने के बाद देरी से हड्डियां जुड़ने की समस्या रहती है। इसके लिए सन लाइट में नियमित रहें, पत्ता गोपी और फ्रूड्स का सेवन नियमित करें।
डॉ. प्रवीण रंगारी, चिकित्सक, शासकीय शाकिर अली पाल