उमरिया निवासी कृष्णापाल बैगा ने बताया कि 6 अक्टूबर को पत्नी रामसखी को प्रसव पीड़ा होने पर उमरिया के सरकारी अस्पताल ले गया। डॉक्टरों ने उसे कटनी जिला अस्पताल भेजा और वहां से मेडिकल रेफर कर दिया गया। लेकिन, जननी एक्सप्रेस के चालक ने कमीशन के फेर में रामसखी को गुरुवार रात दो बजे सुधा नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया। शुक्रवार सुबह 11 बजे उसने सीजेरियन से शिशु को जन्म दिया। शिशु की हालत गम्भीर बताकर उसे कृष्णापाल के साथ मेडिकल की नर्सरी भेजा गया। जबकि, रामसखी नर्सिग होम में ही भर्ती थी। रास्ते में शिशु की मौत हो गई, तो कृष्णापाल लौट आया। नर्सिंग होम प्रबंधन ने शव दफनाने को कहा, तो कृष्णापाल ने पैसे नहीं होने की बात कही। इस पर प्रबंधन ने शिशु का शव भी रख लिया।
शनिवार को कृष्णापाल शिशु को शव झोले में रखकर भीख मांगते हुए वह मानस भवन स्थित खेरमाई मंदिर पहुंचा। साइकिल स्टैंड वाले ने उसकी गरीब नवाज कमेटी के इनायत अली से बात कराई। इनायत साथियों के साथ पहुंचे। तो नर्स ने शव फिर से अंदर रख दिया। कमेटी के सदस्यों ने कलेक्टर को सूचना दी। प्रशासन की टीम और पुलिस ने रामसखी को अस्पताल से छुट्टी कराई। इनायत अली ने शव का अंतिम संस्कार कराया।
मेल स्टाफ कर रहा था फीमेल पेशेंट की केयर नर्सिंग होम से रामसखी को बाहर निकाला गया, तो व्हील चेयर पर उसे मेल स्टाफ ला रहा था। एसडीएम अंकुर मेश्राम ने इस पर आपत्ति जताई और प्रबंधन को फटकार लगाई। बाद में में तीन फीमेल स्टाफ आया, जो अप्रशिक्षित था।