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जानिए फुटबॉल प्रशंसकों की टॉप-10 भिड़ंतों के बारे में

Published: Jun 12, 2016 06:39:00 pm

Submitted by:

Abhishek Tiwari

बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में इंग्लैंड के लिवरपूल क्लब और इटली के
जुवेंट्स एफसी के बीच 1985 के यूरोपियन कप फाइनल को “द डार्कस्ट आवर इन द
हिस्ट्री ऑफ यूएफा कॉम्पिीटिशंस के नाम से जाना जाता है

Top 10 Fights oF Football

Top 10 Fights oF Football

कुलदीप पंवार, नई दिल्ली। यदि आप यूरो कप-2016 में इंग्लैंड और रूस के प्रशंसकों के बीच शनिवार रात को हुई भिड़ंत में दर्जनों लोगों के घायल हो जाने की खबर से आश्चर्य में हों तो बता दें कि यह पहली बार नहीं हुआ है। फुटबॉल फैंस के बीच भिड़ंत की ऐसी भी घटनाएं होती रही हैं, जिसमें दर्जनों लोगों को असमय मौत का शिकार तक होना पड़ा है। आइए जानते हैं ऐसी ही दर्दनाक भिड़ंतों के बारे में।

10. 39 लोग मारे गए थे ब्रुसेल्स में
बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में इंग्लैंड के लिवरपूल क्लब और इटली के जुवेंट्स एफसी के बीच 1985 के यूरोपियन कप फाइनल को “द डार्कस्ट आवर इन द हिस्ट्री ऑफ यूएफा कॉम्पिीटिशंस के नाम से जाना जाता है। इस फाइनल मुकाबले से पहले भी लिवरपूल के फैंस और इटली के रोमा क्लब के फैंस की भिड अंत में जमकर खून बह चुका था। इसके चलते फाइनल मुकाबले के लिए अलग से सर्तकता बरती जा रही थी। 1930 में बना बु्रसेल्स का हेसल स्टेडियम बेहद जर्जर हालात में था और फाइनल के लिए तैयार भी नहीं था। मैच के किकऑफ होते ही लिवरपूल और जुवेंट्स के फैंस में तनातनी शुरू हो गई। लिवरपूल फैंस ने दर्शक स्टैंड की जालियां तोड़कर जुवेंट्स के फैंस पर हमला बोल दिया। जुवेंट्स के फैंस ने भागने की कोशिश की, जिसमें पीछे बनी जर्जर दीवार टूट गई और उसके नीचे बहुत सारे लोग दब गए। दीवार के नीचे दबने से लगभग 100 से ऊपर घायल हो गए और 39 की मौत हो गई। इस बीच मैच चलता रहा,जिसमें जुवेंट्स ने 1-0 से जीत हासिल की। इस हादसे के बाद यूएफा ने इंग्लैंड के सभी क्लबों को यूरोपियन कॉम्पिटिशंस में भाग लेने से प्रतिबंधित कर दिया, जो 1990-91 तक चलता रहा।

09. 42 लोगों का जीवन ले गया था ऑर्कने हादसा
दक्षिण अफ्रीका के ऑर्कने शहर में 1991 की 13 जनवरी फुटबॉल इतिहास में कभी नहीं भुलाई जा सकती। कैजर शैफ्स और ऑरलेन्डो पायरेट्स टीमों के बीच ओपनहीमर स्टेडियम में एक प्री-सीजन मैच के दौरान फैंस के बीच हुई भिड़ंत में 42 लोग मौत के शिकार हो गए। यह हादसा तब हुआ था, जब मैच के दौरान पायरेट्स टीम के समर्थकों ने अचानक ही शैफ्स के प्रशंसकों पर चाकू से हमला बोल देने से भगदड़ मच गई।

08. 10 साल बाद हुआ ऑर्कने का रिप्ले, मारे गए 43

ऑर्कने शहर में 1991 में हुए हादसे से दक्षिण अफ्रीका के प्रशासन और फुटबॉल प्रबंधकों ने कोई सबक नहीं लिया, जिसका नतीजा 10 साल बाद 2001 की 11 अप्रैल को 43 लोगों की मौत के रूप में सामने आया। जोहांसबर्ग के एलिस पार्क स्टेडियम में एक बार फिर कैजर शैफ्स और ऑरलेन्डो पायरेट्स की टीमों के बीच ही मुकाबला था। 60 हजार दर्शकों की क्षमता वाले इस स्टेडियम में लगभग 1.20 लाख दर्शक घुस गए और सीट पाने के लिए आपस में भिड़ गए। इससे मची भगदड़ के बीच अनट्रेंड सिक्योरिटी स्टाफ के टीयर गैस छोड़ देने के कारण स्थिति और बिगड़ गई, जिससे भीड़ में कुचलकर 43 लोग मौत का शिकार हो गए।

07. तुर्की ने देखी 44 फैंस की मौत
17 सितंबर, 1968 का दिन तुर्की के फुटबॉल इतिहास में सबसे दर्दनाक हादसे के लिए याद किया जाता है। कायसेरी शहर के कायसेरी अतातुर्क स्टेडियम में कायसेरी एरिक्योसपोर तुर्किश स्पोट्र्स क्लब और सिवासपोर तुर्किश स्पोट्र्स क्लब के बीच मैच के दौरान दोनों के प्रशंसकों में अचानक दंगा छिड़ गया। दंगे के दौरान चाकू, बंदूकें और तमाम तरह के अन्य हथियारों का उपयोग किए जाने की बात मीडिया रिपोट्र्स में दर्ज की गई हैं। इस दंगे के दौरान जहां 600 लोग बुरी तरह घायल हुए, वहीं 44 लोगों की मौत हो गई।

06. झंडा जलने से चली गई 71 से ज्यादा की जान
अर्जेंटीनी फुटबॉल इतिहास का एक काला दिन गिना जाता है 23 जून 1968 को। अर्जेंटीनी राजधानी ब्यूनस आयर्स के मोन्यूमेंटल स्टेडियम में रिवर प्लेट और बोका जूनियर्स के बीच हुए मैच में सिर्फ एक टीम का झंडा जलाए जाने के कारण 71 से अधिक लोगों को मौत का शिकार होना पड़ा। इस हादसे में 150 से ज्यादा लोग घायल हुए। मृतकों में अधिकतर टीनएजर और युवा थे। मीडिया रिपोट्र्स के अनुसार, हादसा तब हुआ जब बोका जूनियर्स के समर्थकों ने स्टैंड के ऊपरी हिस्से में रिवर प्लेट के झंडे को जलाना शुरू कर दिया। इसको लेकर हुई झड़प से स्टैंड के निचले हिस्सों में भगदड़ मच गई और दर्शकों ने बाहर भागना शुरू कर दिया। डोर नंबर 12 बंद था और अचानक नहीं खुल पाया। इससे लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़ गए और इसमें पिस जाने के कारण अधिकतर लोग मौत का शिकार हुए। इसे अर्जेंटीना में “पुएर्ता 12 ट्रेजडी” के नाम से याद किया जाता है।

05. मिस्र के पोर्ट सईद स्टेडियम हादसे के नाम रहा साल 2012

साल 2012 में मिस्र के पोर्ट सईद स्टेडियम में अल मसरी और अल अहली के बीच हुए मुकाबले के दौरान दंगे ने इतना भयावह रूप लिया था कि जहां 79 लोगों की मौत हो गई, वहीं 1000 से भी ज्यादा लोग अधिकृत रूप से घायल के तौर पर दर्ज किए गए। अल मसरी की 3-1 से जीत के बाद उसके फैंस ने अल अहली के फैंस पर चाकू, बंदूकों, बॉटल्स और खतरनाक पटाखों से हमला बोल दिया। बहुत देर तक चले इस दंगे का नतीजा बेहद खतरनाक रहा।

04. गुआतेमाला में हुआ था खूनी वल्र्ड कप क्वालिफायर
फुटबॉल दर्शकों के गुस्से का शिकार होने से वल्र्ड कप भी नहीं बच सका है। 1996 वल्र्ड कप क्वालिफायर में 16 अक्ततूबर को गुआतेमाला सिटी का मेटियो फ्लोरेस स्टेडियम भी रक्तरंजित होने से नहीं बच पाया था। गुआतेमाला और कोस्टारिका के बीच क्वालिफायर मैच शुरू होने से पहले स्टेडियम के अंदर जाते दर्शकों को सिक्योरिटी द्वारा काबू करने के प्रयास ने वहां उपद्रव शुरू करा दिया। फीफा का अधिकृत बयान था कि बहुत सारे जाली टिकट दर्शकों को बेच दिए गए थे। एक घंटे चले उपद्रव में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और 180 से ज्यादा गंभीर घायल हो गए।

03.शेफील्ड में इंग्लिश दर्शकों के उन्माद ने ली 96 की जान
15 अप्रैल, 1989 को शेफील्ड के हिल्सबोरो स्टेडियम में एफए कप मैच के दौरान अंदर जाने के लिए बनाए गए रास्ते को संकरा रखा गया था। दर्शकों को नियंत्रित रखने के लिए की गई इस व्यवस्था से लिवरपूल के फैंस भड़क गए और अंदर जाने के लिए धक्का-मुक्की करने लगे। पुलिस ने अंदर जाने के बजाय बाहर लौटने का प्रयास कर रहे दर्शकों को दो साइड गेट खोलकर बाहर निकालने का प्रयास किया तो वहां से भी लगभग 5 हजार लोग अंदर घुस आए। इससे मची भगदड़ में 95 लोग मारे गए और 766 घायल दर्ज किए गए। एक घायल की मौत लगभग चार साल तक कोमा में रहने के बाद होने
पर मृतकों की संख्या 96 दर्ज की गई।

02. घाना में प्रीमियर लीग मैच में मारे गए 126
घाना के अकरा शहर में 9 मई, 2001 को प्रीमियर लीग के प्रतिद्वंद्वियों हट्र्स ऑफ ओक और असांते कोटोके के बीच मुकाबले का अंत भी बेहद दुखद हुआ। 70 हजार की दर्शक क्षमता वाला खचाखच भरा स्टेडियम उस समय अचानक उपद्रव का शिकार हो गया, जब खेल समाप्ति के बाद बाहर जाने के लिए फैंस आपस में भिड़ गए। इस भिड़ंत में 126 लोगों की मौत हो गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।

01. पेरू के फैंस के गुस्से ने मरवा दिए 318 लोग
पेरू की राजधानी लीमा में 24 मई, 1964 को उसके चिरप्रतिद्वंद्वी अर्जेंटीना के खिलाफ वल्र्ड कप क्वालिफाइंग मैच ने 318 लोगों को दुनिया से विदा कर दिया। नेशनल स्टेडियम में आयोजित मैच में दोनों देशों के फैंस के बीच चल रही उत्तेजना तब उपद्रव में बदल गई जब रेफरी ने खेल खत्म होने से दो मिनट पहले पेरू के गोल को अमान्य करार दे दिया। इससे भड़के पेरू के फैंस ने तोडफ़ोड़ शुरू कर दी, जो दंगे में बदल गई और 318 लोगों की मौत होने के साथ ही 500 से ज्यादा घायल हो गए।


फुटबॉल में ये हादसे भी रहे दर्दनाक
-काठमांडू में 12 मार्च, 1988 को नेशनल स्टेडियम में नेपाल-बांग्लादेश के बीच मुकाबले के दौरान आए भयंकर तूफान से 30 हजार दर्शकों में से 93 लोग मारे गए और 100 से ज्यादा घायल हो गए।

– रूस की राजधानी मास्को के लेनिन स्टेडियम में 20 अक्तूबर 1982 को एफसी स्पार्टक मास्को और एचएफसी हरलेम के बीच यूएएफा कप मैच के दौरान उठकर जा रही दर्शकों की भीड़ एक गोल हो जाने से अचानक लौटने लगी और पीछे से आ रहे दर्शकों से भीड़ गई। इस हादसे में अधिकृत रूप से 66 लोगों की मौत दर्ज की गई, लेकिन अनधिकृत रूप से 340 मौत बताई गई।

– स्कॉटलैंड के ग्लास्गो शहर में 2 जनवरी, 1971 को आइब्रोक्स स्टेडियम से बाहर निकल रही दर्शकों की भीड़ के अचानक गोल हो जाने से वापस लौटने की कोशिश में स्टैंड धराशायी हो गया और 66 लोगों की मौत हो गई। इस स्टेडियम में 1902 में भी ऐसी ही घटना में 25 लोग मारे गए थे।

– इंग्लैंड के ब्रेडफोर्ड में 11 मई, 1985 को स्टैंड में लग गई भयंकर आग के बाद मची भगदड़ में 56 लोगों की मौत हो गई।

– इंग्लैंड के मैनचेस्टर में 9 मार्च, 1946 को ब्रंडन पार्क में बोल्टन वांडर्स व स्टोक सिटी के बीच मैच के दौरान अचानक दीवार गिर जाने से 33 लोगों की मौत हो गई और 400 घायल हो गए।
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