शहर के गौरी देवी राजकीय महिला महाविद्यालय में राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रूक्टा) स्थानीय इकाई की ओर से गुरुवार को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता कहां तक विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी में रूक्टा की जीडी कॉलेज इकाई की सह सचिव डॉ. शैफाली बार्थोनिया ने कहा कि संवाद लोकतंत्र की पूर्व शर्त है और गौरव का विषय है कि देश में संवाद हो रहा है।
गलत या सही यह विचार का विषय हो सकता है, लेकिन भारत ऋषि संस्कृति का देश है। दुर्भाग्य है कि 1835 में लागू मैकाले की शिक्षा पद्वति के प्रभाव से हम आज भी मुक्त नहीं हो पाए हैं।
प्रांतीय कार्यकारिणी सदस्य डॉ. रचना आसोपा ने कहा कि राष्ट्रद्रोह को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। चाहे कोई कितना शक्तिशाली हो उसे देश का सम्मान करना ही होगा। डॉ. ऋतु गुप्ता ने कहा कि हमारी पहचान भारतीयता है। कोई जाति या धर्म नहीं।
डॉ. पूर्णिमा गोस्वामी ने कहा कि युवा शक्ति का सही दिशा में उपयोग होना जरूरी है। इस दौरान डॉ. वंदना गंगवार, डॉ. लता शर्मा, डॉ. रेखा शर्मा ने भी विचार व्यक्त किए। प्राचार्य ज्योति सिन्हा ने कहा कि शिक्षक के नाते विद्यार्थियों में देशभक्ति का संस्कार डालना चाहिए।
देश का संविधान सर्वोपरि
कला कॉलेज में भी इसी विषय पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा कि भारत का संविधान सर्वोपरि है। इसकी अखण्डता व सम्प्रभुता को नुकसान पहुंचाना व अपमानजनक भाषा का प्रयोग करना अशोभनीय है।
इस दौरान प्राचार्य डॉ. के एम शेरावत, डॉ. कर्मवीर चौधरी, डॉ. धनन्जय कुमार सिंह, डॉ. स्नेह साईवाल, डॉ. कैलाश पुरोहित, डॉ. लवलीना व्यास, डॉ. महेन्द्र सिंह, डॉ. हेमा देवरानी, डॉ. दीपक श्रीवास्तव, डॉ. रूपा सिंह, डॉ. सुमन सिंह सहित काफी व्याख्याताओं ने विचार व्यक्त किए। डॉ. आंचल मीणा ने आभार जताया।