जोधपुर. अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (नेशनल एकेडमी फॉर स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) में भर्ती होने वाले वैज्ञानिक के प्रशिक्षण काल में 15 दिन की संस्कृत की कक्षा लगती है। इसमें आर्यभट्ट, वराहमिहिर जैसे भारत के विद्वानों की ओर से दिए गए वैज्ञानिक सिद्धांत के अलावा मय दानव का दिया सूर्य सिद्धांत पढ़ाया जाता है। सूर्य सिद्धांत में ढाई हजार वर्ष पहले सौरमण्डल के सम्बंध में दिए गए तथ्य और आज के वैज्ञानिक तथ्यों का तुलनात्मक अध्ययन होता है।
नासा के अतिथि वैज्ञानिक, दिल्ली के डॉ. ओमप्रकाश पाण्डेय ने जोधपुर प्रवास के दौरान ‘पत्रिका’ से विशेष बातचीत में बताया कि भारत का खगोल विज्ञान इतना अधिक समृद्ध था कि उसे अब वेद और वेदांग के जरिए वैज्ञानिक सीख रहे हैं। मय दानव ने 500 बीसी में सूर्य सिद्धांत के जरिए बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी के साथ सूर्य के चारों ओर भी चक्कर लगाती है। मय दानव ने एक साल की अवधि 365.24 दिन बताई।
वर्तमान वैज्ञानिक सिद्धांत के अनुसार इसमें केवल 1.4 सैकेण्ड की ही त्रुटि है। मय दानव ने बुध से लेकर सभी ग्रहों और पृथ्वी के अपने अक्ष पर झुके होने की जानकारी दी थी। मय दानव का सिद्धांत आर्यभट्ट और वराहमिहिर की लिखी पुस्तकों में भी है।
मन को वाईफाई से जोडऩे की तैयारी
डॉ. पाण्डेय ने बताया कि वे और ब्रिटेन की वैज्ञानिक दाना जौहार चेतना पर काम कर रहे हैं। ऊर्जा वास्तव में जड़ है। वह केवल चेतना से नियंत्रित होती है। निर्जीव नजर आने वाले कुर्सी व पत्थर में भी चेतना है। अगर आप एकाग्र होकर किसी की मानसिक तरंगों को पकड़ते हो तो दूर बैठे दो व्यक्ति भी मन ही मन आपस में बात कर सकते हैं। यह आज के वाईफाई सिस्टम जैसा है।
पहले 360 दिन का होता था एक साल
वेदों के अनुसार आठ हजार साल पहले पृथ्वी अपने अक्ष पर 22.1 डिग्री झुकी हुई थी (वर्तमान में 23.5 डिग्री पर झुकी है) तब एक साल 360 दिन का होता था। वर्ष 11800 एडी आने पर पृथ्वी 24.5 डिग्री झुक जाएगी तब एक साल 368 दिन का होगा।