खाटू श्यामजी। अपने आराध्य, इष्टदेव को प्रिय वस्तु और प्रसाद आदि भेंट करना भक्ति का ही एक हिस्सा है। इससे आस्था की डोर और मजबूत होती है। शबरी ने श्रीराम को जूठे बेर खिलाए तो विदुर ने श्रीकृष्ण को साधारण भोजन के भोग से प्रसन्न कर लिया। राजस्थान के शेखावाटी में स्थित बाबा श्याम का धाम खाटू श्यामजी भी भक्त और भगवान के अटूट रिश्ते का दूसरा नाम है।
यहां मंदिर में बाबा को विभिन्न प्रकार का भोग अर्पित किया जाता है तो दूर-दूर से लोग बाबा को निशान चढ़ाने आते हैं। निशान का अर्थ है- पवित्र ध्वजा। हर साल लाखों लोग जय-जयकार करते हुए श्याम प्रभु के दरबार में आते हैं और ये निशान बाबा के चरणों में अर्पित करते हैं।
श्याम बाबा को निशान अर्पित क्यों किए जाते हैं? वास्तव में निशान चढ़ाने की परंपरा का भी एक रहस्य है। यह ध्वजा बहुत श्रद्धा से बाबा को अर्पित की जाती है। सनातन संस्कृति में ध्वजा विजय की प्रतीक होती है और स्वयं बाबा श्याम की भी प्रतिज्ञा है कि वे हारे हुए का, निर्बल का पक्ष लेंगे, उसे विजयी बनाएंगे। इसलिए जहां श्याम हैं, वहां विजय है, जहां उनका निशान है, वहां हर मुश्किल पर फतह है।
यूं तो निशान कई रंगों के होते हैं। उनमें पंचरंगा निशान सबसे खास माना जाता है। बाबा को पंचरंगा निशान चढ़ाने का संबंध हमारे शरीर और उसकी आत्मा से है। मानव शरीर पंचमहाभूतों से बना है।
उसमें एक आत्मा का वास है जो स्वयं परमात्मा की ही दिव्य ज्योति है। निशान के पांच रंग उन पंच तत्वों के प्रतीक हैं। इसका अर्थ है, एक भक्त अपने संपूर्ण शरीर, मन, आत्मा सहित खुद को बाबा के चरणों में समर्पित करता है।