जिले में कुछ सीबीएसई व शिक्षा विभाग राजस्थान से सम्बद्ध कुछ अंग्रेजी माध्यम के निजी विद्यालयों में नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। यहां हर साल अभिभावकों की जेब पर कैंची चलाने का काम खुलेआम होता है।
शिक्षा विभाग व प्रशासन के अधिकारी भी इस बात को जानते है, लेकिन उन्हें हर बार शिकायत का इंतजार रहता है। निजी विद्यालयों की ओर से बाजार में खुले आम चल रहे इस खेल को देखकर अधिकारी आंखे मूंद कर बैठ जाते है।
जिला मुख्यालय पर सीबीएसई से संबद्ध विद्यालयों में पढऩे वाले बच्चों को जो पुस्तकें उपलब्ध करवाई जा रही है। उसके लिए अभिभावकों से पन्द्रह सौ रुपए से लेकर तीन हजार रुपए तक वसूल किए जा रहे है।
यह राशि केवल पाठ्यपुस्तकों की ली जा रही है। वहीं कोपी व अन्य शिक्षण सामग्री की राशि अलग से ली जा रही है। आरटीई के तहत स्कूलोंं में शिक्षण सामग्री बेचने पर सख्ती के चलते इस बार निजी विद्यालय संचालकों ने नया तरीका इजाद किया है।
उन्होंने बाजार में पुस्तक विक्रेताओं को कमीशन पर स्कूल की पुस्तकें बेचने के लिए उपलब्ध करवाई है। रेट में दस गुना अन्तर एनसीईआरटी की ओर से निर्धारित प्रकाशकों की ओर उपलब्ध सीबीएसई पाठ्यक्रम की पुस्तकों व निजी विद्यालयों की ओर से उपलब्ध करवाई जा रही अन्य प्रकाशक की पुस्तकों की रेट में दस गुना तक का अंतर है।
बाजार में एनसीईआरटी की पहली कक्षा की सभी पुस्तकों का मूल्य करीब दो सौ रुपए ही है। वहीं निजी विद्यालय की ओर से उपलब्ध करवाई जा रही इसी कक्षा की पुस्तकों का मूल्य करीब पन्द्रह सौ से दो हजार रुपए तक है।
ऐसे में अन्य प्रकाशक की पुस्तकें उपलब्ध करवा कर अभिभावकों को खुलेआम लूटा जा रहा है।आपसी मिलीभगत शहर में संचालित निजी विद्यालय संचालकों ने अपनी दुकानें कमीशन पर तय कर रखी है। स्टेशनरी विक्रेता को निजी स्कूल संचालक की ओर से पुस्तकें व अन्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाती है।
उस दुकानदार को पुस्तकें व सामग्री बेचने के लिए एक निश्चित कमीशन तय कर दिया जाता है। वह दुकानदार अभिभावकों को स्कूल की पर्ची व मांग पर कोर्स व अन्य सामग्री उपलब्ध करवाता है। एक ही दुकान से खरीदने की मजबूरी
निजी विद्यालयों की ओर से बाजार में पुस्तकें बेचने के लिए दुकानें तय कर रखी है। जिस स्कूल में बच्चा पढ़ता है, उस स्कूल संचालक की ओर से अभिभावक को दुकान का पता बता दिया जाता है।
अभिभावक को उस स्कूल से संबंधित पुस्तकें व अन्य सामग्री उसी दुकानदार पर मिलेगी। उसके अलावा अभिभावक भले ही पूरा शहर घूम ले, उसे वो पुस्तकें अन्य जगह नहीं मिलेगी। स्कूल संचालक नहीं कर सकते बाध्य
निजी स्कूल संचालक अभिभावकों को किसी एक ही दुकान विशेष से पुस्तकें खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते है। इस बारे में शिकायत मिलने पर संबंधित विद्यालय संचालक के खिलाफ आरटीई के नियमानुसार कार्रवाई करेंगे।
-सैय्यद अली सैय्यद जिला शिक्षा अधिकारी(प्रारंभिक) जालोर