उत्पादन में आगे जिला जिला देश में काले सोने की बुवाई व उत्पादन मामले में अलग पहचान रखता है। जिले में अफीम किसान अधिक हैं। उत्पादन भी अन्य जिलों से ज्यादा होता है। इससे तोल के लिए दो केन्द्र बनाए जाते रहे हैं।
एक केन्द्र चित्तौडग़ढ़ जिला मुख्यालय पर जहां चित्तौडग़ढ़, भदेसर, कपासन तथा उदयपुर जिले की वल्लभनगर व मावली तहसील के किसानों की अफीम का तोल होता है। वहीं खण्ड तृतीय के तहत निम्बाहेड़ा केन्द्र पर निम्बाहेड़ा, बड़ीसादड़ी व डूंगला तहसील के किसानों की अफीम का तौल होता आया था।
दो दौर में तोल पहले चरण में छह से 10 अप्रेल तक खण्ड प्रथम की पांच तहसील तथा द्वितीय चरण में 12 से 16 अप्रेल तक खण्ड तृतीय की तीन तहसील के किसानों की अफीम का तोल किया जाएगा। दोनों खण्ड के किसानों की अफीम का तौल एक केंद्र पर होगा। इसके लिए जिला अफीम अधिकारी खण्ड प्रथम एसके सिंह को प्रभारी नियुक्त किया है।
2000 किसान ही लाएंगे अफीम विभागीय सूत्रों की मानें तो जिला मुख्यालय पर दोनों ही खण्ड से मिला कर मात्र 2000 किसानों की अफीम का तौल कराने की संभावना है। खण्ड प्रथम में कुल 3999 किसानों को बुवाई लाइसेंस दिए थे।
इनमें से पांच ने बुवाई नहीं की। खराबे के कारण करीब 2800 से अधिक किसानों ने हकाई के आवेदन दिए व 1200 किसान ही अफीम का तोल कराएंगे। इसी प्रकार खण्ड तृतीय में भी 4289 किसानों को लाइसेंस दिए थे, जिसमें से एक किसान ने बुवाई नहीं की। करीब 4000 किसानों ने आंशिक व पूरी अफीम हंकाई के लिए आवेदन दिए हैं। 850 से 900 किसान ही अफीम का तौल करवाएंगे।
हकाई में जुटी है टीमें नारकोटिक्स ने अफीम हकाई की अंतिम तिथि चार अप्रेल तय की। प्रथम खण्ड में हकाई पूरी हो चुकी। खण्ड तृतीय में सोमवार को भी हकाई हुई। खण्ड तृतीय के जिला अफीम अधिकारी सहित टीमें हकाई में रही। खण्ड तृतीय में हकाई के आवेदन अधिक हैं।
चल शौचालय की बात अफीम तौल केन्द्र पर सीसीटीवी लगाए जाएंगे जो ऑनलाइन होंगे। ऐसे में कोटा उप नारकोटिक्स आयुक्त कार्यालय व ग्वालियर मुख्यालय से अधिकारी तौल का निरीक्षण कर सकेंगे। किसानों की सुविधा के लिए पहली बार केंद्र पर चल शौचालय भी लगेगा। इस बारे में नारकोटिक्स ने नगर परिषद से सम्पर्क साधा है।
लाखों की बचत सूत्रों की मानें तो एक केंद्र रखने से विभाग को लाखों की बचत होगी। गत वर्ष कर्मियों का टीए-डीए 3 लाख रुपए बना था। अन्य व्यवस्थाओं में लाखों रुपए खर्च होते हैं। अफीम केन रोज निजी वाहन से बड़े खर्च पर चित्तौड़ पहुंचाए जाते थे।
यह नौबत क्यों वर्ष 2015-16 में लगातार मौसम परिवर्तन एवं गर्मी अधिक रहने से अफीम फसल में बीमारी आ गई। इससे बड़ी संख्या में किसानों ने हकाई के आवेदन दिए थे। बुवाई के मुकाबले नाम मात्र के किसानों ने ही डोडे के चीरे लगाए। तौल के लिए भी बहुत कम किसान आने हैं। ऐसे में नारकोटिक्स विभाग की ओर से दो के बजाय तोल के लिए एक केंद्र ही चित्तौडग़ढ़ में बनाया है।
छह अप्रेल से तौल को लेकर आवश्यक तैयारियां की जा रही है। कार्यक्रम बना कर किसानों को अफीम तौल के लिए बुलाया जाएगा। एसके सिंह, जिला अफीम अधिकारी, खण्ड प्रथम, चित्तौडग़ढ़ एक नजर में तोल
जिले में खण्ड 02बुवाई की तहसील 08तौल केंद्र 01लाइसेंसी किसान 8288बुवाई नहीं की- 05हंकाई आवेदन करीब 6800तौल वाले किसान करीब 2000