जन्म प्रमाण पत्र में पिता का नाम होना जरूरी नहीं: सुप्रीम कोर्ट
कोर्ट ने कहाकि कानून को हकीकत को पहचानना चाहिए और बदलते समय के साथ ढलना चाहिए
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने निकायों को निर्देश दिया है कि बच्चे के बर्थ सर्टिफिकेट में पिता के नाम लिखने पर जोर न दिया जाए। बिना शादी के मां बनने वाली महिलाओं के बच्चों के जन्म प्रमाण पत्र में मां का नाम ही लिखा जाना चाहिए।
कानून का समय के साथ बदलना जरूरी
कोर्ट ने कहाकि आज के समाज में अकेले बच्चों को पालने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ रही हैं। इसे देखते हुए कानून को हकीकत को पहचानना चाहिए और बदलते समय के साथ ढलना चाहिए। यह कानून काफी व्यापक है और इसे सामाजिक उतार चढ़ावों व समय की रफ्तार के साथ चलना होगा। यह कभी अस्वीकार नहीं किया गया कि मां की पहचान संदेह में नहीं रही। इस हिसाब से हम निर्देश देते हैं कि यदि सिंगल पेरेंट या बिन ब्याही मां अपने बच्चे का जन्म प्रमाण पत्र देने के लिए अर्जी देती है तो अधिकारी केवल उससे इस बारे में एफिडेविट लेकर बर्थ सर्टिफिकेट जारी कर दें।
जन्म का रिकार्ड सरकारों की जिम्मदारी
हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने कहाकि, अगर कोर्ट का कोई मामला हो तो बात अलग है। कोर्ट ने साथ ही कहाकि सरकारों को यह निश्चित करना चाहिए कि परिजनों की उपेक्षा के चलते जन्म का रजिस्ट्रेशन न होने से किसी नागरिक को असुविधा न हो। प्रत्येक नागरिक के जन्म का रिकॉर्ड रखना सरकार का कर्त्तव्य है।
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