scriptलखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर सुहाना होगा सफर | UP govt will make Lucknow-Agra Express way safe for Travellers | Patrika News

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर सुहाना होगा सफर

Published: Dec 05, 2015 10:46:00 am

उत्तरप्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने
लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर सुरक्षा के लिए पीएसी की तीन बटालियन को स्थापित किए जाने का
फैसला लिया है

lucknow agra expressway

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लखनऊ। लखनऊ से आगरा तक का सफर सुहाना और सुरक्षित होने की उम्मीद उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार ने अपनी एक महत्वाकांक्षी परियोजना से जगाई है। सरकार ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर पीएसी की तीन बटालियन को स्थापित किए जाने का फैसला लिया है।

पीएसी की तैनाती पर डीजीपी मुख्यालय ने काम करना शुरू कर दिया है। नया एक्सप्रेस-वे होने की वजह से इसके इर्द-गिर्द पीएसी की बटालियन की स्थापना कर रास्ते पर निगरानी रखी जाएगी। एक्सप्रेस-वे पर पुलिस की गाडिय़ों की आवाजाही आम जनता को सुरक्षा का अहसास कराएगा। आने वाले तीन बरसों में डीजीपी मुख्यालय प्रदेश में पीएसी की दस बटालियन का इजाफा करने का रोडमैप तैयार कर रहा है।

डीजीपी मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, प्रदेश में कई साल से पीएसी की कोई नई बटालियन नहीं बनाई गई है। उत्तराखंड के निर्माण के बाद इनमें से आठ बटालियन वहां ट्रांसफर हो चुकी हैं। बची हुई कंपनियों में से ज्यादातर महत्वपूर्ण स्थानों की सुरक्षा में तैनात हैं। यही वजह है कि कोई बटालियन साल में एक माह के लिए जरूरी प्रशिक्षण सत्र में शामिल नहीं हो पा रही है।

प्रदेश में जारी पंचायत चुनाव के दौरान फोर्स की कमी ने अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया है। डीजीपी जगमोहन यादव ने इसके लिए सैद्धांतिक सहमति प्रदान करते हुए प्रस्ताव तैयार करने को कहा है।

प्रदेश में पीएसी की दस बटालियन का इजाफा होने से कानून-व्यवस्था के मामलों में तत्परता के साथ कार्रवाई की जा सकेगी। प्रारंभिक तौर पर पहली तीन बटालियन लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर स्थापित किए जाने की तैयारी है। ये बटालियन मैनपुरी, कन्नौज व फिरोजाबाद में एक्सप्रेस-वे के किनारे जमीन लेकर स्थापित किए जाने पर मंथन हो शुरू हो चुका है।



महंगी पड़ रही केंद्रीय बलों की तैनाती

प्रदेश में होने वाले मुख्य पर्वों, चुनाव, वीवीआईपी मूवमेंट, वीआईपी सिक्योरिटी के लिए केंद्रीय बलों की तैनाती घाटे का सौदा साबित हो रही है। हालिया पंचायत चुनाव के लिए गृह मंत्रालय द्वारा दी गई कंपनी सेंट्रल पैरा मिलेट्री फोर्स के लिए राज्य सरकार को करोड़ों रुपये चुकाने पड़ रहे हैं।

इसके अलावा रात के समय किसी जिले में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब होने पर केंद्रीय बलों की सेवा लेना टेढ़ी खीर साबित होता है। वहीं पीएसी की एक बटालियन को स्थापित करने में भी अधिक खर्च आता है। इन्हीं सब बातों को देखते हुए राज्य सरकार अपने संसाधनों को बढ़ाने की कवायद में जुट गई है। पीएसी की बढ़ती जरूरत को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने इंडिया रिजर्व बटालियन स्कीम की शुरुआत की थी, लेकिन दुर्भाग्य से यह उप्र में फेल हो गई।

प्रदेश में दो इंडिया रिजर्व बटालियन की स्थापना मऊ और सोनभद्र में हुई थी। मऊ की बटालियन को नोएडा भेज दिया गया, जबकि सोनभद्र की बटालियन नक्सली गतिविधियों को देखते हुए वहीं पर डटी रहती है। दूसरी ओर, केंद्रीय बल होने की वजह से इसे दूसरे प्रदेशों में भी तैनात किए जाने की संभावना को देखते हुए राज्य सरकार ने इंडिया रिजर्व बटालियन स्कीम से किनारा कर लिया है। फिर भी उम्मीदें कायम हैं।


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