अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गुरुवार को कहा कि अगर महात्मा गांधी जिंदा होते तो पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत में उपजी धार्मिक असहिष्णुता देखकर अंदर तक हिल जाते।
उनका यह बयान ह्वाइट हाउस द्वारा बुधवार को जारी उस स्पष्टीकरण के बाद आया है, जिसमें कहा गया था कि नई दिल्ली में ओबामा का धार्मिक असहिष्णुता पर दिया गया बयान सरकार चला रही भाजपा को लक्षित नहीं था।
अतुलनीय देश, मगर...
नेशनल प्रेयर ब्रेकफास्ट में ओबामा ने कहा कि मिशेल (पत्नी) और मैं भारत से अभी लौटे हैं। यह एक अतुलनीय, खूबसूरत और विविधताओं वाला देश है।
लेकिन यह एक ऐसा देश भी है, जहां पिछले कुछ वर्षों के दौरान समय-समय पर हर धर्म के लोगों पर दूसरे धर्म के लोगों द्वारा उनकी मान्यताओं और विश्वास के चलते हमले होते रहे हैं। हालांकि, ओबामा ने भाषण में किसी भी धर्म का नाम नहीं लिया। उन्होंने कहा कि यह हिंसा किसी एक धर्म या वर्ग तक सीमित नहीं है।
प्रयास करते रहना होगा
अमरीका और दुनियाभर के करीब ३,००० नेताओं के बीच ओबामा ने कहा कि मानव जाति के उत्थान के समय से ही मानवता ऐसे प्रश्नों से जूझती आई है। याद रखिए कि धर्मयुद्धों के दौरान भी लोगों ने ईसा मसीह के नाम पर इस तरह के अत्याचार किए हैं।
खुद हमारे यहां भी दासता और जातीय हिंसा को जीसस के नाम पर सही ठहराया जाता रहा है। आज इंटरनेट के इस दौर में असहिष्णुता फैलाने वालों की पहुंच इतनी बढ़ गई है कि इससे लडऩा कठिन हो गया है। लेकिन हमें प्रयास करते रहना होगा।