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मूवी रिव्यू

#MOVIE REVIEW: तेरे बिन लादेन…कॉमेडी का फीका डोज

कलाकारों ने अपने रोल के साथ न्याय किया है, लेकिन कहानी में झोल होने की वजह से कॉमेडी का तड़का फीका पड़ जाता है…

Feb 26, 2016 / 06:43 pm

dilip chaturvedi

movie review

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निर्माता : पूजा शेट्टी देवड़ा, आरती शेट्टी, निर्देशक: अभिषेक शर्मा, संगीतकार: राम संपत, अली जफर
कलाकार: मनीष पॉल, प्रद्युमन सिंह, सिकंदर खेर, अली जफर, पीयूष मिश्रा
रेटिंग: 2/5

वर्ष 2010 में रिलीज आई तेरे बिन लादेन की सफलता के बाद छह साल बाद अब बी-टाउन के निर्देशक अभिषेक शर्मा अपने चाहने वालों के बीच इसका सीक्वल लेकर आए हैं। उन्होंने इसमें ऑडियंस को लुभाने की कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी, लेकिल कॉमेडी का तड़का फीका लगा। हालांकि अभिषेक को अपनी इस फिल्म से काफी उम्मीदें हैं और उन्हें विश्वास है कि ऑडियंस उनके काम की सराहना जरूर करेगी।

कहानी: फिल्म एक हलवाई की फेमस दुकान से शुरू होती है, जिसकी टैग लाइन शर्मा की जलेबी 10 रुपए की 2। अब इसी दौरान शर्मा (मनीष पॉल) के सामने ओसामा बिन लादेन जैसी शक्ल वाला पिद्दी सिंह (प्रद्युमन सिंह) दिख जाता है। बस, वहीं से शर्मा (अली जफर) समेत अपने कुछ खास दोस्तों के साथ मिलकर पिद्दी सिंह पर आधारित एक फिल्म बनाते हैं। उसकी सफलता के बाद अली जफर से तनातनी हो जाती है और बस फिर वह एक प्रोड्यूसर की तलाश में लग जाता है। वहीं दूसरी तरफ खलीली (पीयूष मिश्रा) ओसामा का खास और साथ ही डेविड चड्ढा (सिकंदर खेर) को अमेरिका के मि. प्रेसिडेंट को सच्चा साबित करने के लिए सबूत के तौर पर ओसामा चाहिए था। बस, फिर क्या था इधर शर्मा के पास डेविड हॉलीवुड फिल्मों का प्रोड्यूसर बनकर पहुंचता है और वहीं शर्मा, राहुल, पिद्दी समेत उनकी पूरी टीम का अपहरण हो जाता है। यह अपहरण खलीली इसलिए करवाता है, ताकि वह ओसामा को दुनिया के सामने जिंदा साबित कर सके। लेकिन प्रोड्यूसर डेविड जब वहां पहुंचता है, तो नजारा कुछ और ही होता है। पता चलते ही अमेरिकी खास विमान में अपनी पूरी टीम समेत शर्मा एंड पार्टी को खलीली के चंगुल से निकाल लाते हैं। इस तरह से शर्मा के सपने पूरे होने ही वाले थे कि डेविड की हकीकत सामने आने लगती है। इसी तरह से कहानी ट्विस्ट आता है और कहानी आगे खिसकती है।

अभिनय: मनीष पॉल और प्रद्युमन सिंह ने मिलकर वाकई में गजब का अभिनय किया है। दोनों ही अपनी-अपनी भूमिकाओं से सटीक रहे। सिकंदर खेर, पीयूष मिश्रा, ईमान क्रॉसन समेत सभी कलाकारों ने अपने रोल के साथ न्याय किया है, लेकिन कहानी में झोल होने की वजह से कॉमेडी का तड़का फीका पड़ जाता है।

निर्देशन: निर्देशक अभिषेक शर्मा ने अपनी सीक्वल फिल्म में कई तरह के नए प्रयोग किए हैं। उन्होंने बिन लादेन जैसे गंभीर विषय को बड़े पर्दे पर कॉमेडी लहजे से पेश किया है, जिसमें वे कुछ हद तक सफल रहे हैं, लेकिन सीक्वल में वो बात नहीं, जो पहले वाली फिल्म में थी। अभिषेक ने वाकई में कुछ अलग करने की कोशिश तो की है, लेकिन ऑडियंस को कितना हंसा पाए, यह तो बॉक्स ऑफिस के नतीजे से बखूबी लगाया जा सकेगा। फिल्म के डायलॉग्स अच्छे लिखे गए हैं। फिल्म का कमजोर पक्ष है टेक्नोलॉजी और सिनेमेटोग्राफी। इसमें बहुत कुछ करने की गुंजाइश थी, जो नजर नहीं आई। गीत-संगीत काम चलाऊ है।

देखें या ना देखें… मनोरंजन के लिहाज से फिल्म देखी जा सकती है, लेकिन यदि आप यह सोचकर फिल्म देखने जा रहे हैं कि दिल खोलकर हंसने को मिलेगा, तो इसमें निराशा ही हाथ लगेगी। फिल्म कहीं हंसाती है, तो कहीं दिमाग पर जोर डालती है। इसलिए इस फिल्म को कॉमेडी का फुल एंटरटेनमेंट नहीं कह सकते।
– रोहित तिवारी

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