scriptम्युचुअल फंड्स में निवेश करते समय हो जाती है ये गलतियां, ऐसे बचें | Error may crept in while investing in mutual fund | Patrika News
म्यूचुअल फंड

म्युचुअल फंड्स में निवेश करते समय हो जाती है ये गलतियां, ऐसे बचें

निवेश पर शानदार रिटर्न देने के चलते म्युचुअल फंड्स पिछले कुछ वर्षों में काफी लोकप्रिय हो गया है। समय के साथ निवेशक विभिन्न म्युचुअल फंड स्कीम्स में निवेश कर रहे हैं।

Jul 08, 2017 / 05:03 pm

manish ranjan

Mutual Funds

Mutual Funds

नई दिल्ली। निवेश पर शानदार रिटर्न देने के चलते म्युचुअल फंड्स पिछले कुछ वर्षों में काफी लोकप्रिय हो गया है। समय के साथ निवेशक विभिन्न म्युचुअल फंड स्कीम्स में निवेश कर रहे हैं। उनका निवेश आंषिक रूप से उनके अपने अध्ययन और आंशिक रूप से अपने साथियों या परामर्शदाताओं की सलाह पर आधारित होता है। इस प्रक्रिया में हम कभी-कभी गलतियां कर देते हैं, जिन्हें दूर करने या समय पर सही करने की उन्हें जरूरत होती है। आइए जानते हैं हैं कि निवेशकों द्वारा आमतौर पर किस तरह की गलतियां की जाती हैं।

एक बड़ा पोर्टफोलियो
जोखिम को नियंत्रित करने के लिये विविधीकरण अच्छा होता है, लेकिन जरूरत से ज्यादा विविधीकरण करने से आपके रिटर्न पर असर पड़ सकता है। एक बड़ा पोर्टफोलियो बनाने का मतलब है कि पोर्टफोलियो में कुछ फं ड्स औसत से नीचे परफॉर्म करेंगे और इससे आपके कुल रिटर्न में गिरावट आएगी। दूसरी बात यह कि टेक्नोलॉजी के सहयोग के वावजूद एक बड़े पोर्टफोलियो पर प्रभावी रूप से निगरानी रखना और उसे प्रबंधित करना संभव नहीं है।

शीर्ष परफॉमर्स के पीछे भागना
बहुत अच्छा परफॉर्म करने वाली कंपनियों के पीछे भागना अल्पकाल के लिए लाभदायक हो सकता है, लेकिन इससे आपका पोर्टफोलियो काफी विविधतापूर्ण या फिर संकुचित बन सकता है। इस तरह यह आपके निवेश को विविधीकृत कर म्युचुअल फंड का बेहतर इस्तेमाल करने में सक्षम नहीं है। आपको फोकस सिर्फ बीते समय में अच्छा प्रदर्शन करने वालों पर नहीं होना चाहिए, बल्कि आपको एएमसी की प्रतिष्ठा और प्रबंधन, फंड्स निवेश करने की शैली, रिटर्न देने में निरंतरता और परिसंपत्ति के आकार पर भी ध्यान देना चाहिए। साथ ही आपकी निवेश सीमा, जोखिम सहन करने की क्षमता और आपके पोर्टफोलियो में अन्य फंड्स भी महत्वपूर्ण कारक हैं।

लक्ष्यों और निवेष अवधि का बेमेल होना:
डेट और इक्विटी के बीच परिसंपत्ति आवंटन आपके जोखिम सहने की शक्ति के अनुरूप होना चाहिए, जोकि लिक्विडिटी जरूरतों के अधीन है। आपके पोर्टफोलियो की समय-समय पर समीक्षा करने की जरूरत है। साथ ही आपके जोखिम सहने की षक्ति और लिक्विडिटी की जरूरतों के अनुरूप उसमे
करेक्शन भी किया जाना चाहिए।

बहुत ज्यादा मंथन
इसे उतावलापन कहें अथवा अग्रसक्रिय होने का झूठा बोध- हम अमूमन हमारे पोर्टफोलियो को बढ़ते देखने के लिए इंतजार नहीं कर सकते। सक्रिय मंथन पूंजी लाभ कर, एग्जिट लोड, एसटीटी आदि के लिहाज से लागत को जोड़ता है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण है कि हम अच्छा प्रदर्शन करने वाले फंडो से बहुत जल्दी निकल जाएं और इस तरह भविष्य की वृद्धि से वंचित रह जाएं।

फाइनेंशियल मीडिया पर बहुत ज्यादा ध्यान देना
नियमित तौर पर वित्तीय समाचारों को देखने से बाजार में ‘प्रतिकूल खबरों‘ के प्रति हमारा फौरन रिएक्शन होता है। मीडिया आउटलेट आमतौर पर रोजाना समाचारों के प्रवाह पर अतिजोर देते हैं और उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। इससे निवेषकों के बीच अनावयक उत्साह पैदा होता है। एक निवेशक को दीर्घकालिक लक्ष्यों पर फोकस करना चाहिए और उसे यह देखना चाहिए कि हालिया समाचार ने किसी भी तरह से उस लक्ष्य को हासिल करने के अवसरों को महत्वपूर्ण ढंग से प्रभावित किया है।

अधिक चतुराई दिखाने के चक्कर में मूर्ख बन जाना
कई बार निवेषक म्युचुअल फंड स्कीम खरीदने अथवा बेचने के संबंध में दोस्तों अथवा मीडिया में आने वाले कथित विशेषज्ञों की आम सलाह पर भरोसा कर लेते है। वे ऐसा एडवायजरी फीस बचाने के चक्कर में करते हैं। यह लंबे समय में फायदेमंद साबित नहीं होता। मामूली फीसद चुकाकर पेशेवर सलाह लेने से अतिरिक्त रिटर्न कमाया जा सकता है तो यह उनके द्वारा बचाए गये पैसे का छोटा सा हिस्सा होगा।

नियमित अंतराल पर स्कीम्स के परफॉर्मेंस की समीक्षा नहीं करना
यह सच है कि यदि आप निधि निर्माण के फायदे प्राप्त करना चाहते हैं तो म्युचुअल फंड स्कीमों में लंबी अवधि तक बना रहना चाहिए। ऐसे में समय-समय पर आपके पास मौजूद म्युचुअल फंडों की समीक्षा करने की सलाह दी जाती है (6-9 महीने में एक बार)। इससे उतार-चढ़ाव के दौर में एग्जिट करने से असामान्य रूप से उच्च रिटर्न लॉक करने में मदद मिलेगी। साथ ही आप अपने पोर्टफोलियो में निरंतर कम परफॉर्म करने वाली स्कीमों को बाहर कर सकते हैं।

टैक्स सेविंग पर विचार नहीं करना
आयकर कानून के अनुसार, इक्विटी एवं डेट स्कीमों से प्राप्त लाभ अलग-अलग तरीके से कर के आकर्शित करते हैं। निवेशकों को अपने निवेश की समयसीमा के अनुसार इन पर अवश्य विचार करना चाहिए और उचित प्लांस (डिविडेंड या ग्रोथ) का चयन करना चाहिए ताकि समूची कर स्थिति को न्यनूतम किया जा सके।

Home / Business / Mutual Funds / म्युचुअल फंड्स में निवेश करते समय हो जाती है ये गलतियां, ऐसे बचें

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो