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वेस्ट मैनेजमेंट में ‘सुनहरा’ भविष्य, घरों से कूड़ा उठाता है  यह स्टार्टअप

Published: Sep 10, 2016 09:19:00 am

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ललित fulara

हमारे घरों, फैक्ट्रियों और शहरों से प्रतिदिन निकलने वाला कचरा आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। 

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ललित फुलारा

हमारे घरों, फैक्ट्रियों और शहरों से प्रतिदिन निकलने वाला कचरा आज दुनिया की सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। भारत समेत दुनियाभर के देश और शहर, कचरे के बढ़ते इन ढेरों को कम करने और इसके निस्तारण के लिए कई तरह की कोशिशें कर रहे हैं। इन बड़ी-बड़ी कोशिशों के बीच एक छोटी सी कोशिश है रिकार्ट। हाल में शुरू हुआ यह स्टार्टअप हमारे घरों के कचरे को न केवल बटोर रहा है, बल्कि उसके सही निस्तारण ककी जवाबदेही भी ले रहा है….

अनुराग ने एक दिन गुड़गांव-फरीदाबाद मार्ग पर कूड़े का ढेर देखा तो उन्हें यह अच्छा नहीं लगा। कचरे के इस ढेर में ज्यादातर प्लास्टिक का सामान व रिसायकल हो सकने वाला अपशिष्ट था, जिसे यूं ही डंप किया जा रहा था। यह देखकर अनुराग के मन में ख्याल आया क्यों न कोई ऐसा काम शुरू किया जाय जिससे शहर भी साफ सुथरा रहे और कचरे की रिसायकलिंग भी की जा सके।


दो दोस्तों के साथ मिलकर खोला स्टार्टअप


अनुराग ने अपने दो दोस्तों ऋषभ और वेंकटेश के साथ मिलकर रिकार्ट स्टार्टअप खोला और गुड़गांव में घर-घर जाकर कूड़ा उठाने लगे। अनुराग और ऋषभ ने फाइनेंस की पढ़ाई की है और वेंकटेश आईआईटी मद्रास से कैमिकल इंजीनियरिंग में स्नातक हैं। इस वक्त उनकी कंपनी में 11 कर्मचारी पैरोल पर काम कर रहे हैं और सालाना 10 करोड़ से ज्यादा का टर्नओवर है।


अनुराग इससे पहले एडवरटाइजिंग बिजनेस से जुड़े थे जहां वो सालाना 5-6 करोड़ कमाते थे लेकिन इस तरह का सुकून नहीं मिल पाता था जो अब मिल रहा है। उन्हें लग रहा था कि उनके और परिवार की आजीविका तो सुधार रही है लेकिन समाज के लिए उनकी जिम्मेदारी वो नहीं निभा पा रहे हैं।




अनुराग बताते हैं कि वो एक एक कचरा उठाने वाले व्यक्ति को 500 से 700 मेहनताना देते हैं। इससे पहले यही काम करके वो मुश्किल से दिन का 100 से 200 कमा पाते थे। उनका स्टार्टअप गुड़गांव के 12 हजार परिवारों के घर से कूड़ा उठा रहे हैं। यहां के बाद वो दिल्ली में घर-घर से कूड़ा उठाना शूरू करेंगे क्योंकि यहां 17 फीसदी उपयोगी कूड़ा ऐसे ही डंप हो जाता है।


दाम चुकाकर घरों से खरीदता है कूड़ा


पर्यावरण के संरक्षण, शहर को साफ-सुथरा रखने, कबाड़ियों की जीवनशैली और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए कचड़ा प्रबंधन के काम में जुटा है रिकार्ट स्टार्टअप। यह लोगों के घरों में बेकार पड़े रिसायकल हो सकने वाले कूड़े को खरीदता है।


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रिसायकल यूनिट को बेचता है


रिकार्ट घरों में बेकार पड़ी चीज़ों को खरीदता है। उसके बाद प्लास्टिक, गत्ता, धातु, और बायोमैट्रिक कचड़े को अलग-अलग विभिन्न रिसायकल प्लांट को बेच देता है ताकि इसे फिर से इस्तेमाल में लाया जा सके।



100 कबाड़ियों की जीवनशैली बदली


इस स्टार्टअप ने गुड़गांव की गलियों में घूमने वाले 100 कबाड़ियों की जीवनशैली को बदला है। 70 बड़े कबाड़ की दुकानों को अपने साथ जोड़ा है। कबाड़ी साफ-सुथरा बनकर लोगों के घरों से कूड़ा उठाते हैं और रिकॉर्ट उसे इकट्ठा करता है।
 


कैसे काम करता है यह स्टार्टअप


अगर आप घर में पड़े शैंपू के डिब्बे से लेकर टूटी कुर्सी को बेचना चाहते हैं तो 8010811211 पर मिस्ड कॉल दें। रिकार्ट आपसे संपर्क करेगा। पता पूछेगा। उसके कर्मचारी बेकार और अनपयोगी चीज़ों को उठाकर ले जाएंगे। सालाना टर्नओवर 10 करोड़, 12 हजार घरों से उठाते हैं कूड़ा रिकार्ट का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ से ज्यादा का है। वह गुड़गांव के 12 हजार घरों से कूड़ा उठाते हैं।


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1751 में लंदन में कोर्बिन मॉरिस ने शहर की सफाई की अवधारणा लोगों के सामने रखी


घाना


घाना में कूड़ा प्रबंधन के लिए कोलिब एप का इस्तेमाल होता है। पांच स्कूल इस एप का उपयोग कर रहे हैं। इसके जरिए यहां 
प्लास्टिक, पॉलिथीन और धातु अपशिष्टों को रिसायकल कराया जाता है।


दक्षिण अफ्रीका


चाय बेचकर पढ़ाई पूरी करने वाली मिलिसेंट एम्बे ने चिकित्सा संबंधी कूड़ा फेंकने वाला स्टार्टअप खोला है। एम्बे प्रिटोरिया की रहने वाली हैं। उनका स्टार्टअप अपराध और दुर्घटनास्थल की सफाई का काम करता है। यह स्टार्टअप मुर्दाघर, एम्बुलेंस, क्लिनिक, हॉस्पिटल और लैब की साफ-सफाई करता है।


इनेवो


इनेवो फिनलैंड की कचरा प्रबंधन कंपनी है। इसकी स्थापना 2010 में हुई थी। दुनियाभर के कूड़े का डेटा कलेक्शन और विश्लेषण का काम करती है।


पोम पोम स्टार्टअप


पोम पोम स्टार्टअप भी घर से कूड़ा उठाता है। 18 नवंबर 2015 में इसकी स्थापना हुई थी। ये लोग पेपर, प्लास्टिक, धातु और इलेक्ट्रोनिक कूड़ा एकत्रित करते हैं। हर रोज दिल्ली में 8500 ठोस अपशिष्ट निकलता है, इसमें से 17 फीसदी ही रिसायकल होता है। पोम पोम के सह-संस्थापक दीपक सेठी और किशोर ठाकुर हैं।


इनकैशईडॉटकॉम स्टार्टअप

तीन आईआईटीएन ने खोला। प्रियंका जैन आईआईटी खड़गपुर, हर्षद चौधरी आईआईटी मद्रास, राहुल जयसवाल आईआईटी कानपुर,

महत्वपूर्ण आंकड़ें

सालाना कूड़ा पैदा होता है

-620 लाख टन कचड़े का निर्माण होता है देश में सालाना
-56 लाख टन प्लास्टिक कचड़ा
-15 लाख टन ई-कूड़ा
-2 लाख टन बायोमेट्रिक कचड़ा
-79 लाख टन खतरनाक अपशिष्ट का निर्माण होता है
120 लाख टन होता है रिसाइकल
-30 फीसदी कूड़ा ही हो पाता है रिसाइकल
-190 लाख टन नदी-नालों में जाकर फैलाता है गंदगी

हर व्यक्ति कूड़ा पैदा करता है

-200 से 600 ग्राम प्रतिव्यक्ति कूड़े का प्रतिदिन होता है उत्पादन
 
2030 में ढाई गुना बढ़ जाएगा कूड़ा


-2030 तक कूड़ा ढाई गुना बढ़कर 16.5 करोड़ टन हो जाएगा
-2050 तक सात गुना बढ़कर 4,360 लाख टन हो जाएगा
-430 लाख टन कूड़ा इकट्ठा होता है
-120 लाख टन ही रिसायकल हो पाता है
– 190 टन कचरा नदी-नालों में जाकर गंदगी फैलाता है


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