राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने राज्य सरकार को कॉरपोरेट हितैषी बताया है। पीसीसी चीफ ने रीको के निजीकरण का विरोध जताया।
पायलट ने कहा कि राज्य सरकार रीको का निजीकरण कॉरपोरेट घरानों को अनुचित लाभ पहुंचाने का काम कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में राजस्थान औद्योगिक निवेश निगम (रीको) के पास 72 हजार एकड़ अधिग्रहित भूमि है जिसमें से 34 हजार एकड़ का आवंटन परियोजनाओं हेतु किया गया है। उनमें से भी 12 हजार एकड़ पर कोई परियोजना कार्यरत नहीं है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि रीको के निजीकरण से सरकार द्वारा किसानों की अधिग्रहित भूमि भी निजी हाथों में चली जाएगी, सरकार ऐसा कर कॉर्पोरेट को अवांछित लाभ पहुंचा रही है।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार औद्योगिक विकास के लिए गठित रीको के निजीकरण को अंजाम
देने जा रही हैं जबकि रीको के माध्यम से 1980 के बाद से अब तक 327 औद्योगिक क्षेत्र विकसित किये जा चुके हैं।
पायलट ने कहा कि सरकारी उपक्रमों और उद्योगों का विनिवेश तभी किया जाना चाहिए जब वे घाटे में हों लेकिन रीको कहीं से भी घाटे में नहीं है।
उन्होने कहा कि गत 15 महीनों में सरकार ने अधिकतर सरकारी उपक्रमों के निजीकरण का मानस बना लिया है तथा विभागों द्वारा कमेटियों के गठन पर गलत नीति को मूर्त रुप देने की तैयारी की जा रही है।
उन्होंने कहा कि सरकार ने राजस्थान माइन्स एंड मिनरल्स कॉर्पोरेशन को सात कंपनियों में विभाजित करने का प्रयास किया था जबकि ये शुद्ध रुप से मुनाफे में हैं। पीसीसी चीफ ने राज्य सरकार पर जयपुर, अजमेर, बीकानेर और कोटा शहर की विद्युत व्यवस्था को भी निजी हाथों में देने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा कि जयपुर,अजमेर, बीकनेर व कोटा शहर की विद्युत व्यवस्था को भी सरकार निजी हाथों में देने को तत्पर है जबकि इन चारों शहरों में विद्युत कंपनियों को किसी प्रकार का घाटा नहीं है। इन शहरों में राजस्व वसूली 99 प्रतिशत रहती है।