संभागभर में तीन दिन से लगतार हो रही बरसात से जनजीवन ठहर-सा गया हैं। मंगलवार को भी बारिश का दौर जारी रहा। उदयपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा डूंगरपुर चित्तौडग़ढ़ समेत कई जिलों में बांध और तालाब लबालब हो गए हैं। उदयपुर संभाग में लगातार बारिश के चलते दो दर्जन से अधिक छोटे और बड़े बांध लबालब हो गए हैं। नदी नाले उफ ान पर हैं, सड़के पानी से जलमग्न हो गई हंै तो खेतों ने दरिया की शक्ल ले ली है। पिछोला के कैचमेंट क्षेत्र में हुई बारिश से सीसारमा नदी और नांदेश्वर चैनल में पानी की आवक लगातार जारी है। सीसारमा नदी 13 फीट और नांदेश्वर नदी 15 फीट चल रही है। इससे पिछोला में पानी की आवक हो रही है, पिछोला का जल स्तर 10 फीट तक पहुंच चुका है।
संभागभर में तीन दिन से लगतार हो रही बरसात से जनजीवन ठहर-सा गया हैं। मंगलवार को भी बारिश का दौर जारी रहा। उदयपुर, राजसमंद, बांसवाड़ा डूंगरपुर चित्तौडग़ढ़ समेत कई जिलों में बांध और तालाब लबालब हो गए हैं। उदयपुर संभाग में लगातार बारिश के चलते दो दर्जन से अधिक छोटे और बड़े बांध लबालब हो गए हैं। नदी नाले उफ ान पर हैं, सड़के पानी से जलमग्न हो गई हंै तो खेतों ने दरिया की शक्ल ले ली है। पिछोला के कैचमेंट क्षेत्र में हुई बारिश से सीसारमा नदी और नांदेश्वर चैनल में पानी की आवक लगातार जारी है। सीसारमा नदी 13 फीट और नांदेश्वर नदी 15 फीट चल रही है। इससे पिछोला में पानी की आवक हो रही है, पिछोला का जल स्तर 10 फीट तक पहुंच चुका है। वहीं, स्वरूपगसागर के गेट कुछ देर के लिए खोले गए थे जिससे सारा गंदा पानी निकाला गया। फिर गेट पुन: बंद कर दिए गए। मंगलवार को फतहसागर का लिंक चैनल भी खोला गया जिससे पानी की आवक होने लगी है। शहरवासी सीसारमा नदी और नंादेश्वर चैनल को देखने बरसात मे भी पहुंच रहे हैं। कोटड़ा और झाड़ोल का मुख्यालय से संपर्क कटा जिले के कोटड़ा और झाड़ोल क्षेत्र में भारी बारिश से कई गांवों का मुख्यालय से सम्पर्क कट गया है। लोगों को जरूरत की चीजें जैसे दूध, अखबार व सब्जियां नहीं मिल पा रही हैं। इधर, पानरवा-कोटड़ा क्षेत्र में पामरी नदी पर बनी पुलिया टूट गई जिससे गुजरात से जोडऩे वाला अंतिम संपर्क भी कट गया है। इधर, फलासिया में भी अच्छी बारिश के कारण नागमाला तालाब करीब 8 साल बाद ओवरफ्लो हुआ है।
जाखम नदी उफान पर इधर, जिले के खेरवाड़ा मावली, वल्लभनगर, धरियावद और पारसोला क्षेत्र में भी भारी बरसात हुई है। जाखम नदी पूरी उफ ान पर है जिससे उदयपुर धरियावद मार्ग भी अवरूद्ध हो गया है। राजसमंद का बाघेरी नाका छलक रहा है। इधर बांसवाड़ा के माही डेम के सभी 16 गेट खोल रखे हैं। इस पानी की वजह से बेणेश्वर धाम टापू बन गया है। कडाना बैकवाटर में अथाह जलराशि समाहित हो जाने से गलियाकोट क्षेत्र में भी हालात खराब हैं।