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अतीक अहमद का एक और घर कुर्क किया जाएगा, अब तक करोड़ों की सम्पत्तियां कुर्क कर की जा चुकी हैं जमींदोज एनईए के अध्यक्ष विपिन मल्हन ने कहा कि नोएडा शहर में 12 हजार से अधिक उद्योग काम कर रहे हैं। इनमें लगभग 90 फीसदी उद्योगों को बिजली के अभाव में जेनरेटर का सहारा लेना पड़ता है। ये सच है कि जेनरेटर से प्रदूषण होता है, लेकिन 24 घंटे बिजली की सप्लाई के बिना उद्योग कैसे चलेंगे? सरकार को इस बात पर भी गहन चिंतन करना चाहिए। जेनरेटर से उद्योग चलाने में उत्पादन लागत में लगभग 40 फीसदी का इजाफा हो जाता है। ऐसे में ईपीसीए के जेनरेटर पर पाबंदी के आदेश से उत्पादन कम होगा, जिसका खामियाजा खराब अर्थव्यवस्था के तौर पर हम सभी को भुगतना होगा।
विपिन मल्हन ने कहा कि कोरोना संकट में समय से पूर्व लॉकडाउन का खामियाजा हम भुगत रहे हैं। जीडीपी लगभग 24 प्रतिशत निगेटिव में है। ऐसे में सरकार की कोशिश उद्योगों में उत्पादन बढ़ाने की होनी चाहिए, जिससे धरातल में गई अर्थव्यवस्था को संभाला जा सके। विपिन मल्हन ने कहा कि ईपीसीए का जेनरेटर पर प्रतिबंध उद्योगों और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद घातक साबित होगा।
उन्होंने कहा कि प्रदूषण कम करने के और भी तरीके हैं, लेकिन स्थानीय प्रशासन उस पर ध्यान नहीं देता है। हर शहर की अपनी समस्या होती है और उसका समाधान भी स्थानीय परिप्रेक्ष्य में ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि नोएडा के उद्योगों में काम करने वाले लगभग 07 से 08 लाख लोग एक साथ शहर की सड़कों पर होते हैं। इससे जाम की स्थिति बन जाती है और जाम से प्रदूषण का होना स्वाभाविक होता है। वह कहते हैं कि उनके विचार से नोएडा के उद्योगों के साथ ही सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों के खुलने और बंद होने के समय में थोड़ा-थोड़ा अंतराल रखा जाए तो एक साथ सड़कों पर जमा होने वाले लाखों की भीड़ को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। इससे हम प्रदूषण को कम करने में सफल हो सकते हैं।
एनईए अध्यक्ष ने कहा कि वह खुद भी प्रकृति और पर्यावरण के दुश्मन नहीं है। वह भी चाहते हैं कि शहर का वातावरण जीवनदायिनी हो। लेकिन, इसके लिए सिर्फ जेनरेटर पर प्रतिबंध लगाने को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि स्थानीय प्रशासन को इस मुद्दे पर एनईए, पर्यावरणविद, स्कूल प्रबंधन और व्यापारिक संगठनों के साथ चर्चा करना चाहिए, जिससे इसका कोई सम्मानजनक समाधान निकाला जा सकता है।