script5 हजार साल पुरानी कब्र खुदी तो शव की जगह निकली ऐसी चीज, देखकर इतिहासकार भी रह गए दंग | 5000 years old ancient rath found from sinoli village of baghpat | Patrika News

5 हजार साल पुरानी कब्र खुदी तो शव की जगह निकली ऐसी चीज, देखकर इतिहासकार भी रह गए दंग

locationनोएडाPublished: Jun 05, 2018 05:31:09 pm

Submitted by:

Rahul Chauhan

खुदाई के दौरान 5 हजार साल पुरानी कब्र से कुछ ऐसा मिला जिसे देखकर इतिहासकार भी दंग रह गए हो।

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5 हजार साल पुरानी कब्र खुदी तो शव की जगह निकली ऐसी चीज, देखकर इतिहासकार भी रह गए दंग

बागपत। यूं तो कब्र में शव के अलावा कुछ और नहीं मिल सकता। लेकिन अगर कब्र से 5 हजार साल पुराना कुछ ऐसा मिला जाए जिसे देखकर इतिहासकार भी दंग रह गए हो। तो आप भी सोचेंगे कि आखिर उसमें क्या होगा। वहीं इस चीज के मिलने से कई राज खुलने का भी दावा किया जा रहा है।
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दरअसल, यूपी के बागपत जिले के सिनौली गांव में स्थित कब्र से 5 हजार साल पुराना एक प्राचीन रथ और शस्त्र मिले हैं। जिसके बाद कई और राज खुलने की उम्मीद जगने लगी है। जिसे लेकर पुरातत्वविदों द्वारा गांव में खुदाई की जा रही है। कब्रगाह की खुदाई के दौरान पूर्व लौह युग या कांस्य युग का एक रथ के प्रमाण मिले हैं। वैसे तो राखीगढ़ी, कालीबंगन और लोथल से पहले भी कई कब्रगाह खुदाई के दौरान मिलें हैं। लेकिन कहा जा रहा है कि ऐसा पहली बार है जब कब्रगाह के साथ रथ भी मिला है।
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रथ मिलने के बाद विशेषज्ञों का मानना है कि अब महाभारत काल और हड़प्पा काल में घोड़े की उत्पत्ति को लेकर भी कई नए तथ्य सामने आने की उम्मीद है। पुरातत्वविदों द्वारा बताया गया कि पहली बार किसी कब्र से रथ मिला है। इतिहासकार एवं शहजाद राय शोध सस्थान के निदेशक अमित राय जैन का कहना है कि मेसोपोटामिया, जॉर्जिया और ग्रीक सभ्यता में रथ पाए जाने के प्रमाण मिलते हैं। लेकिन अब भारतीय उप महाद्वीप में इसके साक्ष्य मिलने के बाद कहा जा सकता है कि इन सभ्यताओं की तरह ही भारतीय उप महाद्वीप में भी लोग रथों का प्रयोग करते थे।
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उनका कहना है कि एक दूसरा तथ्य भी निकल के आता है कि पूर्व लौह युग में हम लोग लड़ाकू प्रजाति के थे। इसमें खास बात है कि इस रथ की बनावट बिल्कुल वैसी ही है जैसे इसके समकालीन मेसोपोटामिया आदि दूसरी सभ्यताओं में था। इस रथ के पहिए की बनावट ठोस हैं इसमें तीलियां नहीं हैं। रथ के साथ पुरातत्वविदों को मुकुट भी मिला है। जिसे रथ की सवारी करने वालों द्वारा पहना जाता रहा होगा।
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वहीं बागपत जिलाधिकारी ऋषिरेंद्र का कहना है कि खुदाई में इस तरह के प्रमाण मिलना अपने आप मे बड़ी उपलब्धि है। बरनावा टीले को पहले ही पर्यटन स्थल घोषित किया जा चुका है। सिनोली भी बागपत की पहचान बन चुका है। जिसमें इतिहास के कई राज दफन है।
गौरतलब है कि सिनौली गांव में खुदाई इसी साल मार्च महीने में एस.के मंजुल व सह-निदेशक अरविन मंजुल सहित 10 सदस्यों की एक टीम द्वारा शुरू की गई थी। जिसके बाद से यहां लगातार खुदाई की जा रही है।
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