बता दें कि 93 वर्षीय सीएल सुब्रह्मण्यम नोएडा सेक्टर-61 में रहते हैं। वह मूलरूप से कोयंबटूर के निवासी हैं। उन्होंने बताया कि मां की तबीयत खराब रहने के कारण वह 12वीं तक ही पढ़ सके। इसके बाद उन पर परिवार के पालन-पोषण की जिम्मेदारी आ गई। इसलिए उस दौरान उन्हें गांव में नौकरी करनी पड़ी। इसके बाद वह 1945 में अपने परिवार संग दिल्ली आ गए। यहां उन्हें वाणिज्य मंत्रालय में क्लर्क की नौकरी मिल गई। इसके बाद उन्होंने पदोन्नति के लिए कई परीक्षा दीं और विभाग के निदेशक बन गए। 1986 में वह इसी पद से रिटायर हुए।
सुब्रह्मण्यम बताते हैं कि नौकरी से सेवानिवृत्त होने से पहले वह बैंकॉक में एक सेमिनार में गए थे, जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ के अधिकारी भी पहुंचे थे। उस दौरान उन्हें नौकरी का प्रस्ताव मिला। उस नौकरी की सभी प्रक्रियाएं पूरी हो चुकी थी, लेकिन ग्रेजुएट नहीं होने के कारण उन्हें वह नौकरी नहीं मिल सकी। इसके बाद 2014 में उनकी पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो गई। उनके उपचार के लिए घर पर एक फिजियोथैरेपिस्ट आया करता था। उसने मुझे इग्नू के बारे में बताया। तभी से उन्होंने ठान लिया कि अब वह आगे पढ़ाई करेंगे। जब उन्होंने ग्रेजुएशन के लिए इग्नू में आवेदन किया तो अधिकारी मेरी उम्र देख चौंक गए। इस तरह इग्नू से ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने मास्टर इन पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन से डिग्री हासिल की।
उन्होंने बताया कि पत्नी की बीमारी के कारण वह सुबह 4 बजे उठकर पढ़ते थे, ताकि पत्नी को काेई परेशानी न हो। उन्होंने बताया कि उम्र के इस पड़ाव में लिखते समय हाथ कांपते थे। इसलिए वह कंप्यूटर पर ही नोट्स बनाते थे। हालांकि ग्रेजुएशन की परीक्षा में उन्होंने खुद ही लिखाई की थी। वहीं पोस्ट ग्रेजुएशन में बेटी विजयलक्ष्मी ने उनके लिखाई का कार्य किया। उन्होंने बताया कि आगे वह एमफिल करना चाहते थे, लेकिन पता चला कि उसकी केवल पांच ही सीट हैं। इसलिए उन्होंने अब शाॅर्ट टर्म कोर्स करने का फैसला किया है। बता दें सीएल सुब्रह्मण्यम के चार बच्चे हैं। एक आर्मी में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर हैं तो दो कृषि मंत्रालय में डॉक्टर हैं।