यह भी पढ़ें— शमी और हसीन जहां का विवाद सुलझाने के लिए हुई पंचायत, जानिये क्या निकला परिणाम ज्ञात हो कि कैराना लोकसभा के उपचुनाव में रालोद ने सपा-बसपा के दम पर ही कैराना उपचुनाव में तबस्सुम को प्रत्याशी बनाया है। रालोद यहां मुस्लिम-जाट व अनुसूचित जाति के वोट बैंक के सहारे भाजपा को शिकस्त देने की तैयारी में जुटा है। नामांकन के बाद रालोद और सपा नेता चुनावी प्रचार में पूरी ताकत से जुटे हैं, लेकिन अभी तक बसपा नेता व कार्यकर्ताओं की आमद गठबंधन प्रत्याशी के समर्थन में नहीं दिख रही है। हालांकि रालोद व सपा नेताओं का दावा है कि अनुसूचित जाति का वोट उन्हें ही मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेता भी बसपा का वोट बैंक मिलने का दावा कर रहे हैं।
यह भी पढ़ें— शादीशुदा महिला को अपने से 7 साल छोटे प्रेमी से हुआ प्यार तो उठा लिया ये खौफनाक कदम इधर, जानकारी मिली है कि क्षेत्र के कांग्रेसी नेताओं को भी अभी तक हाईकमान से कोई दिशा-निर्देश नहीं मिले हैं, लेकिन कांग्रेस नेता पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक व पूर्व विधायक पंकज मलिक चुनाव में सक्रिय हो गए हैं। ज्ञात हो कि तबस्सुम हसन 2009 में बसपा से ही कैराना में सांसद चुनी गई थीं। लेकिन, इसके बावजूद प्रचार में बसपा नेताओं की सक्रियता नजर नहीं आ रही है। बसपा की इस खामोशी के पीछे बहजनी का संदेश के इंतजार के रूप में देखा जा रहा है। इस संबंध में बसपा के जिलाध्यक्ष सुशील नहारिया की मानें तो वे बहनजी के निर्देश का इंतजार कर रहा है। निर्देश मिलते ही कार्यकर्ता प्रचार में जुट जाएंगे।