सौरभ शर्मा, नोएडा: सपा से निकाले जाने के बाद अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा फॉर्मूला अपनाने जा रहे हैं जिसके कयास को पिछले छह महीने से लगाए जा रहे थे लेकिन वो इस मोड़ पर होगा ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था। प्रदेश के युवा और मुस्लिम वोट बैैंक धु्रवीकरण को रोकने के लिए अखिलेश की ओर से ‘आरएजे’ फॉर्मूले का इस्तेमाल किया है। जिससे वो यूपी की सियासत को एक अलग मुकाम पर ले जा सके। आखिर इस फॉर्मूले का क्या राज है? इस फॉर्मूले में कौन से समिकरण जुड़े हैं जिससे यूपी की सियासत में एक नया पन्ना लिखा जाएगा? आइये आपको भी बताते हैं…
तो ये ‘आरएजे’ फॉर्मूला
अखिलेश का ‘आरएजे’ फॉर्मूला और कोई बल्कि राहुल-अखिलेश-जयंत से जुड़ा हुआ है। इस समीकरण को बनाने में अखिलेश यादव पिछले छह महीने से लगे हुए हैं। लेकिन पिता और चाचा के साथ रहकर अखिलेश इस फॉमूले को एक साथ नहीं ला पा रहे थे। रही सही कसर मुलायम की सूची ने पूरी कर दी। जिसके अखिलेश ने देरी ना करते हुए इस फॉर्मूले को एक साथ लाने की शुरूआत कर दी। ये बात इससे साबित होती है कि अखिलेश ने अपनी सूची ने उन विधानसभा सीटों पर अपने कैंडीडेट खड़े नहीं किए हैं जहां पर कांग्रेस और रालोद के विधायक है। इस बारे में अखिलेश की वरिष्ठ कांग्रेसियों से बात भी हो चुकी है। आने वाले समय में इस फॉर्मूले का असर भी दिखना शुरू हो जाएगा।
अगले 48 घंटों में हो सकती है घोषणा
अगर बात राहुल और अखिलेश की करें तो अगले 48 घंटे में दोनों नेताओं के एक साथ चुनाव लडऩे की घोषणा हो जाएगी। अखिलेश की कोर कमेटी के मेंबर ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि दिल्ली में इस बात की घोषणा की जाएगी। सूत्रों की मानें तो अखिलेश ने कांग्रेस को 150 सीटों पर मना लिया है। जिस पर राहुल एंड कंपनी भी खुश नजर आ रही है। क्योंकि इससे पहले मुलायम के साथ गठबंधन में कांग्रेस को 100 सीटें भी नहीं मिल रही थी। कांग्रेस को भी इसमें फायदा नजर आ रहा है। अगर ये फॉर्मूला फिट रहा तो कांग्रेस एक बार फिर से प्रदेश में जीवित हो जाएगी।
कुछ ऐसे बनेंगे समीकरण
जानकारों की मानें तो राहुल-अखिलेश-जयंत के समीकरण काफी बेहतर भी बन रहे हैं। पहला समीकरण ये है कि सभी यूथ के एक मंच पर आने से यूथ वोटर्स पर काफी अच्छा असर पड़ेगा। यूपी के यूथ में अखिलेश के प्रति श्रृद्धा भी है। वहीं राहुल की मौजूदगी से मुस्लिम वोटों का धु्रविकरण रुकेगा। प्रदेश के मुस्लिम वोटर्स बहुजन समाज पार्टी की ओर नहीं खिसकेगा। जयंत की मौजूदगी से वेस्ट यूपी का जाट वोट इस गठबंधन की ओर आएगा। यूथ, मुस्लिम और जाट वोट बैंक के सहारे अखिलेश एक बार फिर से पार्टी बनाने में कामयाब हो सकेंगे। मेरठ से अखिलेश यादव के समर्थक और कार्यकर्ता रविकांत के अनुसार अगर ये तीनों एक साथ एक मंच पर खड़े होकर चुनाव लड़ेंगे तो अखिलेश यादव एक बार फिर से सीएम की कुर्सी के प्रबल दावेदार होंगे। मुस्लिम वोटों को अपनी ओर करने के लिए राहुल का साथ काफी जरूरी है।